गुरुवार, 5 सितंबर 2013

करना होगी बगावत, आजादी फिर से लानी होगी!!

जर्जर हुई जो इमारत, मिलकर गिरानी होगी!
रहना है चैन-ओ-सुकून से, तो नई बनानी होगी!!


सुनते-सुनते पक गए 1947 से अब तक वही कहानी!
करना होगी बगावत, आजादी फिर से लानी होगी!!


जो भूल चुके हैं मानवता, देशप्रेम और अपनेपन की भाषा!
इन्हें सबक याद दिलाने अलग से क्लास लगानी होगी।


चूस-चूसके मुल्क का खून, जो मुटियाते जा रहे मुसंडे!
खींचके इनकी चमड़ी-दमड़ी, खाकी की साख बचानी होगी!!


एक-एक खरपतवार उखाडऩे का वक्त चला गया यारो!
खेत बचाना है, तो यकीं मानों , चप्पे-चप्पे में आग लगानी होगी!

अमिताभ क. बुधौलिया

गुरुवार, 2 अगस्त 2012

चलती नहीं जो ठीक से; वो सरकार गिराई जाए


चलती नहीं जो ठीक से; वो सरकार गिराई जाए।
इस हिंदुस्तान में फिर से; नई सरकार बनाई जाए।।

समझिए अपने वोट की ताकत; जनता-जर्नादन।
संसद छोड़ो नकारा सांसदो! यह हुंकार उठाई जाए।

स्वयं को समझने लगे; जो वीआईपी और हमें दोयम।
उन्हें उनकी औकात पर लाने की मुहिम उठाई जाए।

अकेले अन्ना नहीं बदल पाएंगे; इस मुल्क की तकदीर।
हिंदुस्तान के घर-घर से; क्रांति की अलख जगाई जाए।

जो खा-खाकर देश का माल मुटिया गए हैं बेशर्म नेता। सरेआम बेइज्जत करो; फिर गर्दन धड़ से उड़ाई जाए।

बेकार के चोचलों और भाषणों से कुछ नहीं बदलेगा।
बनो निडर हाथों में फिर बंदूक-तलवार उठाई जाए।
अमिताभ क. बुधौलिया

शनिवार, 2 जून 2012

यह विश्राम नहीं

यह विश्राम नहीं;
चलना है अभी बहुत आगे तक...
ये अल्पविराम है;
थोड़ा सुस्ता लो...
मंजिल है अभी बहुत आगे तक...



कर्मक्षेत्र तो बहुत बड़ा है...
जीवन भी अभी बहुत पड़ा है...
ये पड़ाव भर है...
भर लो जोश
आसमान है अभी बहुत आगे तक..



ये शुरूआत है; एक नये जीवन की...
कुछ नये कर्म की, कुछ नये धर्म की...
ये नई डगर है...
हुंकार भरो...
रेस है अभी बहुत आगे तक।



मिला है मौका; सोच नई हो...
राग नया हो; स्वप्न नया हो...
मन भर हो विश्वास
उल्लास भरो...
आपमें जज्बा है अभी बहुत आगे तक।