गुरुवार, 7 जनवरी 2010

शुभांगी अत्रे (लीड एक्ट्रेस ‘दो हंसों का जोड़ा’)


मुझे राजश्री की हर बात अच्छी लगती है
अमिताभ फरोग मार्केटिंग से ‘एमबीए’ शुभांगी अत्रे बखूबी जानती हैं कि सक्सेस होने के लिए ‘रिलेशंस और इमोशंस दोनों’ की अहमियत समझना बेहद जरूरी होता है। दरअसल, तमाम आर्टिस्ट स्वयं की मार्केटिंग करते-करते रिश्ते/नातों को बिसरा देते हैं। शुभांगी ने खुद को इस अहंकार/स्वार्थ से बचाए रखा है। वे आज भी एकता कपूर की चहेती हैं और ‘राजश्री’ जैसे प्रतिष्ठित प्रोडक्शन में भी अपनी एंट्री कराने में सफल रही हैं। शुभांगी ‘एनडीटीवी इमेजिन’ पर शुरू होने जा रहे सीरियल ‘दो हंसों का जोड़ा’ में लीड एक्ट्रेस ‘प्रीति’ का रोल निभा रही हैं।

‘बालाजी टेलीफिल्म’ के सीरियल ‘कस्तूरी’ में लीड रोल कर चुकीं शुभांगी अत्रे ‘दो हंसों का जोड़ा’ को लेकर बेहद उत्साहित हैं। वे बताती हैं-‘यह कंसेप्ट मेरे दिल के बहुत करीब है। मेरे भी बड़े-बड़े ड्रीम रहे हैं, जो धीरे-धीरे साकार हो रहे हैं। ठीक ऐसी ही स्थिति इस सीरियल की एक्ट्रेस प्रीति की है। सपनों में जीने वाली 22 वर्षीय प्रीति संस्कारों की नगरी वृंदावन में रहती है। उसकी अपनी एक अलग ही दुनिया है। उसके कुछ रंगीले ख्वाब हैं, जिन्हें वह अपनी झोली में समेटना चाहती है। वह उन्मुक्त परिंदे की भांति खुले आसमान में उड़ना चाहती है। प्रीति को कुछ-कुछ फिल्मी बोल सकते हैं। हां, इसके बावजूद वह संस्कारित है, भारतीय संस्कृति/सभ्यता और घर-परिवार के आदर्शों की उसे फिक्र है।’
टेलीविजन पर लंबे ब्रेक की वजह? शुभांगी कहती हैं-‘कस्तूरी के बाद मुझे ऐसे ही किसी अच्छे रोल का इंतजार था। हालांकि इस बीच ढेरों आॅफर मिले, लेकिन मैं कुछ ऐसा चाहती थी, ताकि लोग मुझे हमेशा याद रखें। राजश्री ने मेरी यह ख्वाहिश पूरी कर दी है।’
शुभांगी अपने कैरेक्टर को लेकर क्या फीलिंग कर रही हैं? वे मुस्करा उठती हैं-‘थोड़ा नर्वस हूं, क्योंकि मुझे राजश्री ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने मुझ पर लीड रोल के लिए भरोसा किया है। उस पर मुझे खरा उतरना है। हां, मैं एक्साइट भी हूं, क्योंकि कस्तूरी के बाद मुझे ऐसे ही कैरेक्टर की तलाश थी।’
‘राजश्री प्रोडक्शन’ में ऐसा क्या है? शुभांगी तारीफों के पुल बांधना शुरू करती हैं-‘राजश्री के बारे में जितना बोला जाए, कम है। मुझे राजश्री की हर बात अच्छी लगती है, चाहे वो कहानी हो या डायलॉग। राजश्री की फिल्में हों या सीरियल, सब भारतीय संस्कारों से जुड़े होते हैं। उनकी क्रियेटिविटी में सोसायटी के लिए कोई न कोई लेशन निहित होता है। दरअसल, बहुत ज्यादा एक्सपेरिमेंट के चलते ज्यादातर सीरियल्स आधुनिकता के ढोंग में भारतीय संस्कृति/संस्कार और सभ्यता की छीछालेदर करने से भी बाज नहीं आते। राजश्री में ऐसा नहीं है। यही एकमात्र ऐसा प्रोडक्शन हाउस है, जिसने भारतीय परंपराओं और संस्कारों को पकड़कर रखा है।’
एक अच्छे कलाकार की खूबी? शुभांगी दार्शनिक शैली में बतियाती हैं-‘जो भी कैरेक्टर मिले, उसे डूबकर निभाया जाए। मैं भी यही कोशिश करती हूं। हालांकि मैंने एक्टिंग की कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं ली है और न ही थियेटर किया है, लेकिन मेरा मानना है कि अगर आपमें टैलेंट है, तो आपको कोई इगनोर नहीं कर सकता।’
शुभांगी रिलेशंस को शिद्दत से निभाती हैं। जब वे कस्तूरी कर रही थीं, तब साथी कलाकार रूपा गांगुली(महाभारत की द्रोपदी) से उनका गहरा लगाव हो गया था। इस रिश्ते में आज भी उतनी ही गर्माहट है। रूपा गांगुली तो आज भी उन्हें अपनी बेटी के समान मानती हैं।
शुभांगी मध्यप्रदेश को बिलांग करती हैं। उनकी ससुराल इंदौर में है, जबकि ननिहाल भोपाल में। भोपाल कैसा लगता है? इस सवाल पर शुभांगी जैसे चहक-सी उठती हैं-‘ब्यूटीफुल, वंडरफुल, ग्रेट...! भोपाल में मेरा मायका है। मेरी दीदी भी रहती हैं। इसलिए अकसर वहां जाना होता है। बहुत खूबसूरत शहर है-भोपाल। मुहावरे में बोलूं तो, मैंने तो पूरा-पूरा भोपाल छाना हुआ है।’

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