शनिवार, 2 जून 2012

यह विश्राम नहीं

यह विश्राम नहीं;
चलना है अभी बहुत आगे तक...
ये अल्पविराम है;
थोड़ा सुस्ता लो...
मंजिल है अभी बहुत आगे तक...



कर्मक्षेत्र तो बहुत बड़ा है...
जीवन भी अभी बहुत पड़ा है...
ये पड़ाव भर है...
भर लो जोश
आसमान है अभी बहुत आगे तक..



ये शुरूआत है; एक नये जीवन की...
कुछ नये कर्म की, कुछ नये धर्म की...
ये नई डगर है...
हुंकार भरो...
रेस है अभी बहुत आगे तक।



मिला है मौका; सोच नई हो...
राग नया हो; स्वप्न नया हो...
मन भर हो विश्वास
उल्लास भरो...
आपमें जज्बा है अभी बहुत आगे तक।