रविवार, 27 दिसंबर 2009

ये मजाक नहीं आसां, इतना जान लीजिए!


‘पप्पू’ ने चिढ़ाया, ‘पा’ ने रुलाया अब ‘थ्री इडियट्स’ का पंच

अमिताभ फरोग
ये सारे ‘पंच’ उपहास और ठिठौली का फ्यूजन हैं, लेकिन हैं बड़ी मुसीबत। दरअसल, ‘मुन्नाभाई फेम’ राजकुमार हीरानी की फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ हर तिकड़ी के लिए मुसीबत बन गई है। जहां तीन यार संग दिखे, चिढ़ाने वालों पे पंच मारा-‘थ्री इडियट्स!’ इससे पहले सिली यूथ को ‘पप्पू’ का तमगा मिला। यह फिर भी ठीक है, लेकिन अमिताभ बच्चन की ‘पा’ कई लोगों के लिए ‘चिढ़’ की एक बड़ी वजह बन गई है। शरारती लोग थोड़े से असामान्य (मैंटली या फिजिकली) लोगों को ‘पा’ पुकारकर उपहास उड़ाने लगे हैं। पप्पू से थ्री इडियट्स तक मजाक के नये जुमलों पर नजर...

इंजीनियरिंग की तीन सहेलियां दीपा श्रीवास्तव, गुरमीत कौर और संध्या दुबे जब ज्योति टाकीज से आमिर खान की बहुचर्चित फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ देखकर निकलीं, तो प्रफुल्लित थीं। फिल्म उन्हें बहुत पसंद आई थी। वे जब पार्किंग से अपनी गाड़ियां उठाने पहुंचीं, तभी उनके कानों में एक ‘उपहासमयी’ आवाज गूंजी-‘ओये थ्री इडियट्स?’ दीपा ने पलटकर देखा, तो पाया कि; सामने उनकी कुछ सहेलियां खड़ी हुई थीं। उन्होंने ही समवेत स्वर में दीपा, गुरमीत और संध्या को ‘थ्री इडियट्स’ पुकारा था। यह एक मजाक था, लेकिन जब आसपास के लोग यह सुनकर व्यंग्यात्मक मुस्कराहट बिखरने लगे; तब तीनों का मूड आॅफ हो गया।
‘फिल्मी यूथ’ अपने मित्रों के संग हंसी-ठिठोली करने अकसर ‘पप्पू’ या ‘थ्री इडियट्स’ जैसे शब्दों को जुमला बना लेते हैं। हालांकि यह होता तो एक मजाक है, लेकिन कभी-कभार झगड़े का कारण बन जाता है, जैसा कि; भुवनेश और विशाल के संग हुआ था। यह पिछले वर्ष जुलाई की बात है, जब इमरान खान अभिनीत ‘जाने तू या जाने न ‘फिल्म रिलीज हुई थी। कम्प्यूटर साइंस से बीई कर रहे दोनों मित्र इस फिल्म का नाइट शो देखकर होस्टल लौट रहे थे। भुवनेश के बार-बार किक मारने के बावजूद बाइक स्टार्ट नहीं हुई। संयोग से विशाल की एक किक ने ही काम कर दिया। विशाल ने इतराते हुए भुवनेश को ‘पप्पू‘ बोल दिया। पप्पू बोले तो;‘ढक्कन/बेवकूफ या नकारा!’ भुवनेश ने भी हंसते हुए कोई उदाहरण देकर विशाल को ‘पप्पू’ कह डाला। मजाक का यह सिलसिल धीरे-धीरे बहस में तब्दील हो गया...और आखिरकार मामला तूतू-मैंमैं से होते हुए हाथापाई तक जा पहुंचा। बस, एक ‘पप्पू’ शब्द ने दोनों की दोस्ती हमेशा के लिए तोड़ डाली।
‘पप्पू’ से उबरे तो ‘इडियट्स’ पर अटके :
‘जाने तू...’ के पहले ‘पप्पू’ का पास होना भी तमाम लोगों के उपहास का कारण बनता रहा। दरअसल, अमिताभ बच्चन ने कैडबरी चॉकलेट के एक कमर्शियल एड में ‘पप्पू पास हो गया..’ जिंगल यूज किया था। इस एड. की लोकप्रियता का आकलन इसी से किया जा सकता है कि; आज भी जब कोई व्यक्ति हैरतअंगेज/अप्रत्याशित/आश्चर्यजनक तरीके से कामयाबी हासिल करता है, तो लोगों के मुंह से उसके लिए अनायास ही निकल जाता है-‘पप्पू पास हो गया!’ यह जुमला एजूकेशन से लेकर इलेक्शन सभी फील्ड में खूब इस्तेमाल होता है। यह जुमला भले ही ‘कान्फिडेंस लेबल’ का परिचायक है, लेकिन कहीं-कहीं उपहास का रंग भी ले लेता है, जैसा सौरभ सरकार के संग हुआ।
सौरभ 12वीं में दो बार फेल हुए। तीसरी बार 40 प्रतिशत अंकों से ही सही, लेकिन वे जैसे-तैसे पास हो गए। सौरभ जब पहले दिन कॉलेज पहुंचे, तो उनके पुराने मित्रों ने चुटकी ले डाली-‘ओह! तो पप्पू पास हो गया?’ सौरभ तब से अपने इन मित्रों से ठीक से बात नहीं करते।
‘पप्पू’ का यह फेमस जुमला लोगों की जुबान से अभी उतरा भी नहीं है कि; ‘मुन्नाभाई’ फेम राजकुमार हीरानी ‘ने लोगों को थ्री इडियट्स’ का ‘पंच’ थमा दिया है। जहां तक ‘पप्पू’ और ‘मुन्नाभाई’ में बेसिक अंतर है- ‘पप्पू’ इडियट है, लेकिन ‘मुन्नाभाई’ की तरह 420 तो कतई नहीं! यह दीगर बात है कि, ‘मुन्नाभाई’ अच्छे रास्ते पर आने के लिए निरंतर गांधीजी के पीछे ‘लगे रहे’ तब कहीं गांधीगीरी से उनका सर्किट जुड़ पाया। कुछ भी हो, लेकिन हीरानी ने मुन्नाभाई के बाद ‘इडियट’ के रूप में यूथ को एक नया ‘उस्तरा’ थमा दिया है, जिसकी ‘धार’ मजाक-मजाक में कइयों की इज्जत तार-तार करने लगी है।
दु:खद साबित हो रहा है ‘पा’ का मजाक:
पप्पू, मुन्नाभाई या थ्री इडियट्स को जुमले के रूप में इस्तेमाल करना उतना कष्टकर नहीं है, जितना ‘पा’ मजाक साबित हो रहा है। अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में प्रोजेरिया बीमारी से ग्रस्त एक बच्चे ‘आरो’ का रोल निभाया है। पर्दे पर उनके हाव-भाव ने लोगों का ध्यान तो अवश्य खींचा, लेकिन उनके ‘पा’ पुकारने की स्टाइल को जुमला बना लिया है। कोई भी ऐसा व्यक्ति जो थोड़ा-बहुत भी ‘आरो’ सा दिखता है या उसके हाव-भाव उस जैसे हैं, लोग उसे ‘पा’ कहकर चिढ़ाने लगते हैं। यानी ‘पा’ का जुमला यहां परेशानी बन गया है।
पहले भी मुसीबत बने हैं फिल्मी जुमले:
सिर्फ पप्पू, मुन्नाभाई या थ्री इडियट्स ही क्यों, पहले भी फिल्मी जुमले लोगों के लिए मुसीबत बनते रहे हैं। वर्ष, 1989 में आई फिल्म ‘त्रिदेव’ के एक गीत ने तब पब्लिक ही नहीं, प्रशासन तक की नाक में दम कर दी थी। गाने के बोल थे-‘ओये-ओये...!’ मनचलों से लेकर ऑटो , साइकिल रिक्शा चालक सब इसका जमकर इस्तेमाल करने लगे थे। लड़कियों को छेड़ना हो तो-ओये-ओये, ट्रैफिक से निकलना है तो-ओये-ओये...यहां तक कि किसी को पुकारना हो तब भी-ओये-ओये...शब्द यूज होने लगा था। यह शब्द प्रशासन के लिए भी मुसीबत बन गया था।
फिलहाल, लोग ‘पप्पू’ से उबर भी नहीं पाए थे कि आमिर के कारण इडियट साबित होने लगे हैं।


फिल्म रिलीज बाद में होती है, लेकिन उसका टाइटल होर्डिंग या पब्लिसिटी के अन्य माध्यमों से लोगों में पहले पहुंच जाता है। ऐसे में टाइटल का सब्जेक्टिव के संग अट्रेक्टिव होना भी अनिवार्य हो गया है, ताकि रोजमर्रा की जिंदगी में लोग उसे खूब यूज करें। कौन बनेगा करोड़पति के दौरान कुछ शब्द जैसे लॉक कर दिया जाए, कन्फर्म जुमला बन गए थे। अब तो शब्दों पर खूब वर्क होने लगा है, ताकि कुछ अनूठा टाइटल निकलकर सामने आए।
वीरेंद्र राठौर, फिल्ममेकर्स

यह काम्पटीशन में खुद को बनाए रखने का सक्सेस फंडा है। कुछ शब्द स्वत: ही लोगों की जुबान पर बैठ जाते हैं, यह ह्यूमन साइकोलॉजी है। पहले फिल्मों के टाइटल गानों से लिए जाते थे, अब ऐसे वर्ड चुने जाने लगे हैं, जिन्हें यूज करते वक्त लोगों को मजा आए। बॉबी, बुड्ढा मिल गया आदि फिल्मों के टाइटल भी लोगों की लाइफ में खूब इस्तेमाल हुए। इडियट एक तकनीक वर्ड है। जिस व्यक्ति का बौद्धिकस्तर 70-90 प्रतिशत के बीच होता है, साइंस में उसे मंदबुद्धि कहते हैं, लेकिन अब इस वर्ड का आम बोलचाल में भी बहुत प्रयोग हो रहा है। फिल्ममेकर्स टाइटल में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल इसलिए करते हैं, ताकि उन्हें माउथ पब्लिसिटी का बेनिफिट मिल सके।
डॉ. विनय मिश्रा, मनोवैज्ञानिक

पप्पू हो या थ्री इडियट्स, ऐसे शब्दों का प्रयोग अपने मित्रों पर करते वक्त इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि मजाक तूतू-मैंमैं में परिवर्तिन न होने पाए। इन शब्दों का एंज्वाय लें, लेकिन संभलकर।
दीपा खरे, प्रोफेशनल
(यह खबर पीपुल्स समाचार, भोपाल में प्रकाशित हुई है।)

गुरुवार, 24 दिसंबर 2009

बिग बॉस के फिक्स होने की आशंका


मध्यप्रदेश में बिग बॉस पर 1।10 करोड़ का दांव
अमिताभ फरोग
‘कलर्स चैनल’ के बहुचर्चित रियलिटी शो ‘बिग बॉस-3’ पर मध्यप्रदेश से लगभग 1.10 करोड़ रुपए का दांव खेला गया है। यह शो का अंतिम सप्ताह है। बख्तियार के अचानक जाने के बाद घर में अब प्रवेश राणा, विंदु दारा सिंह और पूनम ढिल्लन बचे हैं। संदेह है कि ‘बिग बॉस’ प्रवेश को मोहरा बनाकर विंदु को विनर बना सकते हैं।

‘कलर्स चैनल’ के रियलिटी शो ‘बिग बॉस-तृतीय’ के फिक्स होने की आशंका जताई गई है। ‘बिग बॉस’ के सबसे ‘उद्दंड खिलाड़ी’ रहे कमाल खान का बयान कि,‘प्रवेश राणा विनर हो सकते हैं...’ भी संदेश के घेरे में आ गया है। दरअसल, माना यह जा रहा है कि, ‘बिग बॉस’ की निर्माता कंपनी ‘वायाकॉम-18’ के कहने पर ही कमाल खान ने इस ‘तथाकथित संभावना’ को हवा दी है। इसके पीछे विंदु से कोई ‘गुप्त करार’ माना जा रहा है।
‘बिग बॉस’ एक साथ दो दांव खेल रहे हैं। पहला-प्रवेश को तगड़ा दावेदार बताकर सट्टा मार्केट में उनकी पोजीशन पहले नंबर पर लाना है। लाजिमी है कि यदि प्रवेश हारते हैं और विंदु जीतते हैं, तो इससे कंपनी के साथ-साथ सटोरियों को भी काफी फायदा होगा। सूत्रों के अनुसार विंदु को इस समय पैसों की सख्त आवश्यकता है और अब वे ‘बिग-बॉस’ के हाथों की कठपुतली बन गए हैं।
पहले भी लगे हैं आरोप
‘बिग-बॉस-2’ के एक प्रतिभागी संदेश जताते हैं-‘शो पर फिक्सिंग का आरोप यूं ही नहीं लगता? दरसअल, सीजन-2 में भी राहुल महाजन के जीतने के पूरे आसार थे। लेकिन वे नियम तोड़ते हुए घर की दीवार फांदकर भाग खड़े हुए। तब आशंका व्यक्त की गई थी कि राहुल का यह ‘तथाकथित दुस्साहस’ बिग बॉस के षड्यंत्र का ही एक हिस्सा था। आशंका जताई गई थी कि ऐसा इसलिए किया गया था ताकि सटोरियों को नुकसान से बचाया जा सके। गौरतलब है कि राहुल महाजन पर करीब 150 करोड़ रुपए का सट्टा लगा हुआ था। आशुतोष की ‘अप्रत्याशित’ जीत से सटोरियों को भी काफी मुनाफा हुआ था। यह घटना इसलिए भी शक के दायरे में आई थी, क्योंकि आशुतोष इसी कंपनी के एक शो ‘रोडीज’ के विनर थे। ऐसा सुनने में आया था कि उनका कंपनी से करार है कि शो जीतने के बाद वे आधी राशि वापस लौटा देंगे।’ दरअसल, कंपनी ही ऐसे गणित फिट करती है, ताकि वह जिसको चाहे, उसे जिता ले। ‘बिग बॉस’ घर में ऐसा माहौल क्रियेट कर देते हैं, ताकि प्रबल दावेदार फ्रस्टेशन में आकर खुद की इमेज खराब कर ले, या रेस से बाहर हो जाए। जैसा- पहले राहुल महाजन और अब बख्तियार के साथ हुआ है!
प्रवेश मोहरा तो नहीं?
‘बिग बॉस’ जो गणित अपना रहा है, उसमें प्रवेश के विनर होने की प्रबल संभावनाएं प्रचारित की जा रही हैं। यह इसलिए, ताकि उन पर सबसे ज्यादा पैसा लगे। इसमें दूसरा नाम विंदु का लिया जा रहा है। बख्तियार ईरानी और पूनम ढिल्लन क्रमश: तीसरे और चौथे नंबर पर आते हैं। इन चारों पर करोड़ों रुपए का सट्टा लगा हुआ है। अकेले मध्यप्रदेश से करीब 1.10 करोड़ रुपए सट्टे पर लगे होने के आसार हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि, दांव लगाने वालों में करीब 25 फीसदी महिलाएं भी हैं। ‘वर्ष, 2008’ में ‘मिस्टर इंडिया’ रहे मेरठ के प्रवेश राणा की घर में एंट्री भी शक जाहिर करती है। दरअसल, कंपनी ने शो के दौरान एक नये सदस्य की एंट्री बाबत प्रतियोगिता आयोजित की थी।
इसमें कोई भी फोन के माध्यम से अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता था। बिग बॉस के घर का नया सदस्य बनने देशभर से लाखों लोगों ने कॉल किए। लेकिन प्रवेश को बतौर नए मेंबर घर में एंट्री दे दी गई। प्रतियोगिता का क्या हुआ? कंपनी ने दर्शकों को ठीक से इसकी जानकारी तक नहीं दी। सूत्रों के अनुसार, दरअसल कंपनी घर में एक ऐसे सदस्य की एंट्री कराती है, जो उसके इशारे पर कार्य करे। वो ‘मोहरा’ बनकर ‘बिग-बॉस’ के अनुरूप खेल का रुख मोड़ता रहे। ‘सीजन-2’ में आशुतोष और ‘सीजन-3’ में प्रवेश इसका उदाहरण हैं। दोनों खुद की पहचान स्थापित करने के लालच में ही बिग-बॉस के घर में आए। संभव है, इसके लिए उनके और बिग-बॉस के बीच कोई ‘करार’ हुआ हो?

मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

एचआईवी पॉजिटिव पर्सन अपने नेटवर्क में तलाश रहे हमसफर


शुरुआत नई जिंदगी की

पल्लवी वाघेला
अभिषेक व ऐश्वर्या की शादी का दिन भोपाल के लिए दो कारणों से खास था। एक तो अभिषेक का भोपाल से नाता है और दूसरा भोपाल और प्रदेश के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन था। उस दिन भोपाल में एक विशेष शादी हुई थी, जिसमें पहली बार भोपाल के एक एचआईवी पॉजिटिव युवा ने इंदौर की पॉजिटिव लडक़ी से विवाह रचाया था। ये शादी एक विशेष मेट्रीमोनियल वेबसाइट के जरिए तय हुई थी, जो केवल एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए काम करती है। www.positivesaathi.com इस मेट्रीमोनियल वेबसाइट के जरिए पिछले दो साल में मप्र में अब तक चार एचआईवी कपल्स की मैरिज रजिस्टर्ड की जा चुकी है। इसके अलावा मप्र पॉजिटिव पीपुल नेटवर्क द्वारा भी प्रदेश में ऐसी चार शादियां रजिस्टर्ड हैं। इनमें से एक लव मैरिज भी है। यह एक शुभ संकेत हैं जहां एचआईवी पॉजिटिव लोग एक दूसरे में अपना हमसफर तलाश नई जिंदगी की शुरुआत कर रहे हैं।

न केवल भोपाल व मप्र बल्कि पूरे देश में एचआईवी पॉजिटिव शादियों की रफ्तार में तेजी आई है। इसके लिए कई एनजीओ काम कर रहे हैं, साथ ही एचआईवी पॉजिटिव विशेष मेट्रीमोनियल वेबसाइट पॉजिटिव साथी डॉट कॉम का सहारा भी ले रहे हैं।
रजिस्टर करें, साथी खोजे
वेबसाइट पर एचआईवी पॉजिटिव पर्सन अपनी पर्सनल और मेडिकल डिटेल देकर इसके सदस्य बन सकते हैं। इसके बाद वे मेंबर लॉगइन के जरिए अन्य लोगों को सर्च कर अपना पसंदीदा जीवन साथी चुन सकते हैं।
एमपी पॉजिटिव पीपुल नेटवर्क भी सहायक
एचआईवी पॉजिटिव लोगों का यह ग्रुप एड्स अवेयरनेस के साथ-साथ इस दिशा में भी तेजी से काम कर रहा है। संस्था के मुताबिक अधिकांश पॉजिटिव पर्सन पहले लोकल ग्रुप में ही अपने हमसफर की तलाश करते हैं। मप्र पॉजिटिव नेटवर्क के साथियों के बीच यदि उनकी तलाश पूरी नहीं होती तो मप्र नेटवर्क अन्य राज्यों के नेटवर्क से संपर्क करता है और इस तरह सही जीवनसाथी की तलाश पूरी करने की कोशिश की जाती है। इस प्रक्रिया में दोनों पक्षों को आमने-सामने कर उनकी काउंसलिंग भी की जाती है।
वेबसाइट भी एक बेहतर शुरुआत
एमपी पॉजिटिव पीपुल नेटवर्क के सदस्य भोपाल के अजीत (परिवर्तित नाम) कहते हैं कि एचआईवी पॉजिटिव के लिए स्पेशल मेट्रीमोनियल वेबसाइट एक अच्छी शुरुआत है। हां, इसमें इस बात की ओर ध्यान देना जरूरी है कि जिस तरह हमारे यहां वर-वधू दोनों की काउंसलिंग की जाती है, उसी तरह शादी के पहले वेबसाइट के जरिए भी काउंसलिंग हो। इससे उनको छोटी-छोटी बातों की भी पूरी जानकारी मिल पाएगी।
भोपाल के सनी की हुई अनीता
भोपाल के सनी और इंदौर की अनीता की शादी इस वेबसाइट के जरिए हुई है। सनी कहते हैं धीरे-धीरे लोगों कि समझ में ये आने लगा है कि पॉजिटिव कपल्स न सिर्फ शादी कर सकते हैं, बल्कि बच्चे भी पैदा कर सकते हैं और ये कोई जरूरी नहीं कि उनका बच्चा भी एचआईवी पॉजिटिव हो। वे वेबसाइट के जरिए अपना जीवन साथी चुनने के आप्शन को बेहतर मानते हैं। उनकी नजर में इसमें ऐसे लोगों को बेहद लाभ होगा जो एचआईवी पॉजिटिव होने की झिझक के कारण सामने नहीं आते।
सोच में बदलाव जरूरी
सनी और अनीता दोनों एचआईवी पॉजिटिव लोगों के संबंध में समाज की सोच पर दुख व्यक्त करते हैं। अनीता कहती है ऐसा नहीं कि एचआईवी पॉजिटिव लोगों को अपनी पहचान बताने में आपत्ति है, लेकिन पहचान बताने पर लोगों का उनके प्रति नजरिया बदल जाता है। दरअसल समाज में कोई भी व्यक्ति यदि सामने आकर यह स्वीकार कर लेता है कि वह एचआईवी पॉजिटिव है तो लोगों को सिर्फ यही लगता है कि इस व्यक्ति ने अनसेफ सेक्स किया होगा और इसका चरित्र गिरा हुआ है। विशेषतौर पर लड़कियों के लिए जीना मुश्किल हो जाता है। उनके आस-पास की दुनिया ही पूरी तरह से बदल जाती है। अनीता और सनी कहते हैं कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति मेडिकल साइंस के मुताबिक वर्षो तक स्वस्थ्य जिंदगी जी सकता है, लेकिन समाज का बॉयकाट उसे मेंटली तोड़ देता है।

'इस वेबसाइट के जरिए हमारा मुख्य उद्देश्य पॉजिटिव पर्सन को नई जिंदगी की खुशियां देना है। इस साल एड्स दिवस पर हमने वेबसाइट से नई लिंक जोड़ी है, जिसमें एचआईवी पॉजिटिव बच्चों के लिए लोग चैरेटी कर सकते हैं। कुल मिलाकर हम अपनी वेबसाइट के जरिए अवेयरनेस और केयर प्रोग्राम में सहायक बनना चाहते हैं।
अनिल वालिव, संस्थापक पॉजिटिव साथी डॉट कॉम

मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

bollywoodhunts.com/ Calendar 2010 Brand Ambassadors Competition


वोट फॉर संचिता
अमिताभ फरोग
ऑस्कर विनर’ फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ में महत्वपूर्ण रोल निभाने वालीं मध्यप्रदेश की लाड़ली बिटिया संचिता चौधरी bollywoodhunts.com द्वारा Calendar 2010 के लिए आयोजित Brand Ambassadors Competition की दौड़ में शामिल हैं। इसके लिए वेबसाइट पर ऑनलाइन वोटिंग की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि; इस काम्पटीशन में ग्लैमर फील्ड से जुड़े 69 मेल और फीमेल यूथ कड़े चयन मापदंडों के बाद वोटिंग श्रेणी तक पहुंचे हैं।

नागदा में जन्मीं संचिता ने ‘स्लमडॉग...’ में जमील की मां का किरदार निभाया था। वे अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘सिंह इज किंग’ में तान्या का छोटा-सा किरदार भी निभा चुकी हैं। संचिता की सबसे बड़ी उपलब्धि एशिया के पहले और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इंटरनेशनल स्क्रीन प्ले ‘मोहब्बत द ताज’ में मुमताज महल का कैरेक्टर निभाना रहा। यह प्ले ताजमहल को दुनिया के 7 अजूबों में शामिल करने की खुशी में तैयार किया गया था। इसका प्ले कई दिनों तक आगरा में हुआ था।
संचिता बताती हैं-‘कैलेंडर 2010 के ब्रांड अम्बसडर्स काम्पटीशन के लिए देशभर से 18-30 वर्ष आयु के मेल और फीमेल से एंट्री इनवाइट की गई थीं। इन हजारों एंट्री में से 69 मेल और फीमेल यूथ का सिलेक्शन किया गया है।’
संचिता के मुताबिक; ‘इस काम्पटीशन में शामिल होना ही एक बड़ा अचीवमेंट है, क्योंकि इसके लिए फीमेल मॉडल को ब्यूटी और फिटनेस के कई मापदंडों से होकर गुजरना पड़ा। जैसे-ग्रेट एथलेटिक्स बॉडी, गुड स्माइल, गुड प्रोफाइल एंड ग्रेट हेयर, सबकुछ बारीकी से परखा गया।’
5 फीट 7 इंच हाइट की संचिता एक मझी हुई क्लासिकल डांसर भी हैं। फिलहाल, संचिता कुछ नए प्रोजेक्ट पर वर्क कर रही हैं।

रविवार, 13 दिसंबर 2009

एनडीटीवी इमेजिन पर ‘राहुल दुल्हनिया ले जाएंगे’


mp में राहुल का मार्केट आसमान पर
अमिताभ फरोग
‘कलर्स चैनल’ के रियलिटी शो ‘बिग बॉस-2’ में ‘कृष्ण-टाइप इमेज’ के कारण सुर्खियों में आए राहुल महाजन की हमसफर बनने की दौड़ में 25 प्रतिशत अकेले मध्यप्रदेश की लड़कियां हैं। इसमें भोपाल से भी बड़ी संख्या में प्रपोजल गए हैं। उल्लेखनीय है कि ‘एनडीटीवी इमेजिन’ पर ‘स्वयंवर-2’ यानी ‘राहुल दुल्हनिया ले जाएंगे’ बहुत जल्द ऑन एयर होने जा रहा है। यह शो करीब 30 एपीसोड का रहेगा।

‘बिग बॉस-2’ में पहले पायल रोहतगी; फिर मोनिका बेदी से इश्क लड़ाने के चक्कर में राहुल महाजन की छवि ‘दिलफेंक आशिक’ की बन चुकी है, लेकिन उनका मानना है कि, वे अपनी मैरिज को लेकर अत्यंत गंभीर हैं।
हालांकि ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि यह रियलिटी शो भी ‘सट्टा मार्केट’ को ध्यान में रखकर प्लान किया गया है। दरअसल, इन अफवाहों को इस वजह से भी बल मिलता है क्योंकि, ‘बिग बॉस-2’ में राहुल पर करीब 150 करोड़ रुपए का दांव खेला गया था। राहुल के ‘स्वयंवर’ के लिए देशभर में ऑडिशन लिए गए थे। इसमें आखिरी चरण में करीब 16800 प्रपोजल्स को टेबल पर रखा गया। इनमें 16 लड़कियां रियलिटी शो ‘राहुल दुल्हनिया ले जाएंगे’ में स्क्रीन पर दिखाई देंगी। उन्हें खुद को साबित करना होगा कि वे, राहुल की आदर्श दुल्हनिया बनने के काबिल हैं।
दिलचस्प पहलू यह है कि इन प्रपोजल्स में से 25 प्रतिशत मध्यप्रदेश से पहुंचे। भोपाल से भी बड़ी संख्या में लड़कियां राहुल की हमसफर बनने को उतावली देखी गर्इं। अंतिम 16 में भोपाल की कोई लड़की है या नहीं? चैनल के सूत्रों ने इसका खुलासा नहीं किया, लेकिन उन्होंने इस संभावना को खारिज भी नहीं किया।
कैदियों ने भी भेजे थे प्रपोजल
उल्लेखनीय है कि; भोपाल की जिस सेंट्रल जेल में राहुल की ‘अंतरंग मित्र’ मोनिका बेदी ने कई रातें काटीं, वहां की 9 महिला कैदियों ने भी ‘स्वयंवर’ में जाने की ख्वाहिश जताई थी। इसके लिए उन्होंने बकायदा लंबा-चौड़ा आवेदन भी जेल अधीक्षक को लिखा था। इन कैदियों में कई हत्या के आरोप में सजा काट रही हैं। इनकी उम्र 18 से 32 साल के बीच है। हालांकि कानूनी अड़चनों के कारण उन्हें अनुमति नहीं मिल सकी। दूसरी ओर सूत्रों के मुताबिक, यह एक अफसर की सोची-समझी प्लानिंग थी। दरअसल, उन्हें सुर्खियों में बने रहने का चस्का है।
राहुल बोले, अब घर बसाना चाहता हूं
उदयपुर के होटल फतेहगढ़ पैलेस में स्वयंवर के लिए चुनी गईं 16 लड़कियों के संग शूटिंग में व्यस्त राहुल महाजन ने कहा-‘मैंने अपने जीवन में ढेरों उतार-चढ़ाव देखे हैं। इसलिए अब एक सिरे से जीवन की शुरुआत करने की सोची है।’ वे कहते हैं-‘पिछले तीन वर्ष मेरे जीवन के लिए काफी जटिल रहे। अब मेरे जीवन का नया अध्याय प्रारंभ हो रहा है। मैं इस स्वयंवर के माध्यम से अपने लिए एक अच्छी जीवन संगिनी चुन लूंगा।’ उन्हें कैसी संगिनी चाहिए? इस सवाल पर राहुल स्पष्ट करते हैं-‘मेरी संगिनी ट्रेडिशनल और मार्डन दोनों का मिलाजुला रूप हो तो अच्छा रहेगा। मैं जिस फैमिली को बिलांग करता हूं, उसे ध्यान में रखकर भी मुझे अपना जीवन साथी चुनना है।’
बोले ‘बिग बॉस-2’ के साथी
उन्हें अच्छा जीवनसाथी मिले, इसके लिए उन्हें मेरी तरफ से उनका ढेर-सारी बधाई।
डायना हेडेन, पूर्व मिस वर्ल्ड
राहुल अच्छा लड़का है। नेकदिल है। अच्छी बात होगी कि उनका स्वयंवर सफल हो जाए। मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
एहसान कुरैशी, हास्य कवि
जो भी हो, अच्छा हो। उनका स्वयंवर सफल रहे, मेरी ओर से उन्हें ऑल द बेस्ट। राहुल बहुत अच्छे इंसान हैं। वो मेरे अच्छे दोस्त भी हैं।
सैयद जुल्फी, मॉडल और अभिनेता
अच्छी बात है कि; राहुल मैरिज करने जा रहे हैं। उनके अफेयर पर पहले ही बहुत हंगामे हो चुके हैं, इसलिए बेहतर होगा कि इस बार वे मैरिज कर ही लें।
संभावना सेठ, अभिनेत्री
स्वयंवर की शूटिंग उदयपुर(राजस्थान) के आलीशान होटल फतेहगढ़ पैलेस में शुरू हो चुकी है। इसी होटल में राखी ने भी स्वयंवर रचाया था, जो विफल साबित हुआ है।

बुधवार, 9 दिसंबर 2009

एहसान कुरैशी ने लिया राजू श्रीवास्तव का इंटरव्यू





‘निठल्ली जिंदगी से ऊब गया था
अमिताभ फरोग
यह रोचक संयोग है कि दो कॉमेडियन ‘बिग बॉस’ के घर से पहले ही नॉमिनेशन में आउट हो गए। दोनों 62 दिन घर में रहे, लेकिन बाकी सदस्यों के बीच दोनों की केमिस्ट्री में बड़ा अंतर देखने को मिला। एक तटस्थ रहा, तो दूसरे ने विवादों को ‘एंज्वाय’ किया। ‘बिग बॉस-2’ के प्रतिभागी रहे एहसान कुरैशी ने ‘बिग बॉस-तृतीय’ से बाहर हुए राजू श्रीवास्तव से पूछे ‘शो’ से जुड़े खास लम्हे और जानी उनकी फीलिंग...

‘कलर्स चैनल’ के चर्चित रियलिटी शो ‘बिग बॉस-तृतीय’ से पहले ही नॉमिनेशन में बाहर हुए ‘स्टैंडअप कॉमेडी के किंग’ राजू श्रीवास्तव भले ही ‘बिग बॉस’ के खिलाफ मुंह नहीं खोल रहे, लेकिन उनकी चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। हालांकि वे खुशी व्यक्त करते हैं-‘62 दिन परिवार और बच्चों से दूर रहा, यह एक दु:खभरा समय ही तो था! वहां रहकर महसूस हुआ कि; इस दुनिया में सिर्फ अपना परिवार ही आपका सच्चा हमदर्द होता है। पत्नी से बड़ा कोई साथी नहीं और बच्चों-सा कोई सहयोगी नहीं। उनके बगैर जीवन अधूरा-सा जान पड़ा।’
‘देश के आदेश’ को राजू शॉकिंग खबर अवश्य मानते हैं। उनके मुताबिक,‘मुझे बिलीव नहीं होता कि; देश में मेरे इतने चाहने वालों के होने के बावजूद मुझे कम वोट मिले? मुझे लगता है कि दर्शक अब इस शो का दूसरा रंग भी देखना चाहते हैं। मैं यही कहूंगा कि; बात बिग बॉस के घर की हो, या आम जिंदगी की; हर जगह धैर्य बहुत जरूरी है। कोई चुगली करे, बिचिंग करे, तो दोनों पक्षों की सुने बगैर किसी फैसले पर पहुंचना बेवकूफी है।’
राजू बुरे वक्त का कुछ यूं बखान करते हैं-‘वहां आपकी जिंदगी निठल्ली हो जाती है। सुबह उठे, चाय पी, नाश्ता किया, खाना खाया, शाम हुई फिर डिनर किया और सो गए! वहां कोई किसी का मीत नहीं, कोई किसी का दोस्त नहीं। सब पैसे के पीछे भागते हैं, जीतने के लिए तिकड़में लड़ाते हैं। नकाब ओढ़े घूमते हैं, फिर भी अपना चरित्र बचा नहीं पाते। इंसानियत भूल जाते हैं।’
घर की दो महिला सदस्यों द्वारा हंसी-ठिठोली में नेकर उतारने की घटना पर राजू दार्शनिक नजरिया अख्तियार करते हैं-‘लड़कियों ने जो किया; वो उनके संस्कार थे, मैंने उन्हें क्षमा किया; यह मेरी परवरिश थी। वैसे भी यहां क्रिया की प्रतिक्रिया तो संभव थी नहीं, इसलिए चुप रहना ही मुनासिब समझा। हां, यह जानकर अवश्य आश्चर्य और हैरानी हुई कि; चैनल ने इस घटना की वीडियो क्लिपिंग मीडिया को उपलब्ध करा दीं। यह बिग बॉस की हरकत है। दरअसल, जो कुछ हुआ; वह मजाक था और लड़कियों को नहीं मालूम था कि मैंने नेकर के नीचे कुछ नहीं पहना है। हम सब यही समझ रहे थे कि; बिग बॉस इस घटना को प्रचारित/प्रसारित नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने टीआरपी के चक्कर में यह औछा कदम उठा लिया।’
कमाल खान से हुई ‘तू-तू, मैं-मैं’ पर बोलते वक्त राजू ‘अहिंसावादी शैली’ अपनाते हैं-‘मैं लड़ाकू नहीं हूं, इसलिए कमाल खान का गांधीवादी तरीके से विरोध किया। वे गाली बकते रहे, मैं सेम टू यू रिपीट करता रहा। हां, इतना अवश्य कहूंगा कि वो अच्छा कैरेक्टर नहीं है। उसे मैं कभी नहीं समझ पाया। विंदू मुझे साफ दिल लगता है।’
राजू मानते हैं कि वे ‘बिग बॉस’ का ‘गंदा खेल’ भी सफाई से खेले। वे दो टूक कहते हैं-‘मुझे खुशी है कि; मैं घर में दुश्मन बनाकर नहीं आया। मैं एक सीधा-सादा इंसान हूं, आलतू-फालतू बातों में नहीं पड़ता। हालांकि यह भी सच है कि; वहां कोई गहरा दोस्त भी नहीं बना। वैसे अब घर में झगड़े बढ़ने की आशंका प्रबल है।’
विनर कौन होगा? इस सवाल पर राजू विश्लेषण करते हैं-‘विंदू और पूनम सेफ खेल रही हैं। फिर भी कुछ नहीं कहा जा सकता।’
राजू ‘बिग बॉस’ में अपने यादगार लम्हे पर फोकस करते हैं-‘पहले हफ्ते में मैं मामा बना था। वह कैरेक्टर मुझे बेहद अच्छा लगा था। जब मैं मेंटल पेंशेंट बना, तब नई अनुभूति हुई। मैं अपने कैटवाक पर खूब हंसा था। जैक एंड जिल का मैंने भोजपुरी रीमिक्स बनाया था-जैकवा एंड जिलवा। वह विंदु को बहुत पसंद आया।’
आगे की प्लानिंग? राजू कहते हैं-‘कुछ दिन परिवार के साथ सुकून से गुजारूंगा, उसके बाद फिर अपने काम में व्यस्त हो जाऊंगा। तमाम ऑफ़र आए हैं। कुछ फिल्मों के भी हैं। वैसे लाइव शो मेरा फर्स्ट लव है।’
बिग बॉस भ्रष्ट और हिटलर हैं : एहसान
पहले ही नॉमिनेशन में ‘बिग बॉस’ के घर से राजू श्रीवास्तव के आउट हो जाने पर एहसान कुरैशी भी हैरान हैं। वे शंका जाहिर करते हैं-‘संभवत: राजू इस शो के सबसे महंगे प्रतिभागी थे, इसलिए भी उनका बाहर होना हैरानी पैदा करता है। मुझे तो लगता है कि; कंपनी ने जिस प्रतिभागी से सीक्रेट एग्रीमेंट किया होगा, वही विजेता रहेगा। कंपनी कभी यह नहीं बताती कि आपके लिए कितनी वोटिंग हुई।’ एहसान बिग बॉस पर खुलकर इल्जाम मढ़ते हैं-‘किसको कितने वोट मिले, एक-दो, दस, हजार, 10 हजार; बिग बॉस को इसका खुलासा करने में आपत्ति क्यों होती है? यह पारदर्शिता का खेल नहीं है। बिग बॉस भ्रष्ट और हिटलर हैं।’
राजू और एहसान में अंतर? एहसान खुलकर बोलते हैं-‘जब बिग बॉस को लगता है कि; फलां प्रतिभागी से मसाला नहीं मिल रहा, तो वे षड्यंत्र पैदा करके उसे बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। आप चाहकर भी बीच में गेम छोड़ नहीं सकते, वर्ना आपको एक पैसा भी नहीं मिलेगा। कंपनी ने मुझे एक कॉमेडियन की हैसियत से बुलाया था। उसे उम्मीद थी कि; मैं चौबीसों घंटे मनोरंजन करता रहूंगा, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मैंने गंभीरता ओढ़े रखी, खेल का अंग नहीं बना। शो की टीआरपी बढ़ाने जो मसाला चाहिए था, बिग बॉस को मुझसे ऐसा कुछ हासिल नहीं हुआ। मैंने चमचागीरी नहीं की, आखिर शो को उठाने का अकेले मैंने ठेका नहीं ले रखा था? इसलिए मेरा निकलना ठीक था, लेकिन राजू खेल का हिस्सा बने। टीआरपी बढ़ाने जो बन सका उन्होंने किया, फिर भी वे पहले ही नॉमिनेशन में बाहर हो गए; यह बात तमाम शंकाओं को जन्म देती है।’

सोमवार, 7 दिसंबर 2009

अजय सिन्हा (निर्देशक, केसरिया बालम आवो हमारे देस)


मैं रियलिटी में बिलीव करता हूं
अमिताभ फरोग
जिस ‘सिनेमाई रंग-कलेवर और ऊर्जा’ के लिए सिनेप्रेमी मधुर भंडारकर को पहचानते हैं, टेलीविजन पर ठीक वैसी ही ‘साख’ अजय सिन्हा की है। एक्सट्रा मटेरियल रिलेशनशिप जैसे असोशल; किंतु यथार्थपरक विषय पर ‘हसरतें’ जैसा विचारोत्तक सीरियल रचने वाले अजय सिन्हा इस बार ‘सहारा वन चैनल’ पर ‘केसरिया बालम आवो हमारे देस’ लेकर आए हैं, जिसमें हादसों से उपजे ‘जीवन-संघर्ष’ को कम्पलीट इमोशन के संग जिया गया है।

अभिनय और निर्देशन; दोनों अलग-अलग ‘कर्म-विधाएं’ हैं। दोनों को अपने अंदर साधे रखना; वो भी सम्पूर्ण मौलिकता के संग, एक कड़ी चुनौती से कम नहीं आंका जा सकता। अजय सिन्हा समय-समय पर दोनों को जीते हैं, मौलिकता के संग प्रस्तुत करते हैं।
इससे पहले कि; ‘केसरिया बालम...’ और जीनत अमान अभिनीत फिल्म‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में समानता? का प्रश्न खड़ा होता; वे स्वयं स्पष्ट कर देते हैं-‘ शुरुआत में ऐसा आभास हो सकता है कि; केसरिया...और सत्यम शिवम...का प्लॉट कहीं एक तो नहीं, लेकिन ऐसा नहीं है। केसरिया...की कहानी मेरे मित्र रघुवीर शेखावत ने करीब 4-5 साल पहले सुनाई थी। कंसेप्ट दिल को छू गया। बस तभी निश्चय कर लिया था कि; इसे टेलीविजन पर साकार करना है।’
टेलीवजन पर देहाती विषयों के बढ़ते क्रेज पर श्री सिन्हा साफगोई से बोलते हैं-‘मेरा मानना है कि; टेलीविजन पर सास-बहू या धनाढ्य फैमिली की जगह अगर ग्रामीण परिवेश ले रहा है, तो इसे एक नए अध्याय के रूप में देखा जाना चाहिए। यह लोगों के बदलते नजरिये की ओर इंगित करता है।’
श्री सिन्हा ‘केसरिया बालम...’ को देहाती माटी से उपजे दूसरे सीरियल्स से कुछ यूं खास बताते हैं-‘इसमें हमने सिर्फ एक इश्यू नहीं उठाया, बल्कि इसमें राजस्थानी लोक संस्कृति, गीत-संगीत, सामाजिक विद्रूपताएं-विविधताएं सब समेटने की कोशिश की है। इसमें एक ऐसी लड़की की व्यथा है, जो ब्याह के लिए कई बार रिजेक्ट कर दी जाती है। यह एक आम लड़की का परिचायक है। केसरिया...में इमोशन हैं, कल्चर है और हमारी टीम का बेहतर प्रोफेशनल वर्क।’
‘हत्या चक्र’ जैसी लो-प्रोफाइल फिल्म का निर्देशन कर चुके अजय कहते हैं-‘टेलीविजन और सिनेमा दोनों की ठीक वैसी स्थिति है जैसे सागर और तालाब, लेकिन दोनों की मझधार में आप तभी संघर्ष कर सकते हैं; लहरों को चीरकर किनारे पर आ सकते हैं, जब आप एक उम्दा तैराक हों। कह सकते हैं कि; फिल्म में अधिक मजा है, लेकिन टेलीविजन का भी अपना एक सुख है। मैं मजा और सुख दोनों का आनंद उठाता हूं।’
अभिनय और निर्देशन दोनों में कहां ‘चैन’ महसूस करते हैं? अजय तर्क देते हैं-‘दोनों अलग-अलग विधाएं हैं और पूरा समर्पण-ईमानदारी मांगती हैं। हां, निर्देशन में कुछ जिम्मेदारियां अधिक बढ़ जाती हैं। फाइनेंसिशल प्रेशर होता है, आउटपुट समय पर देने का कमिटमेंट होता है। दोनों में एकाग्रता की आवश्यकता होती है, लेकिन निर्देशन में कभी-कभी ये पे्रशर उसे भग्न भी कर देते हैं। हालांकि यह सच है कि मैं अभिनेता बनना चाहता था, लेकिन अकसर महसूस होता रहा कि; मैं कैमरे के पीछे रहकर कुछ बेहतर आउटपुट दे सकता हूं।’
अजय सिन्हा किस विषय में सहजता महसूस करते हैं? वे दो टूक कहते हैं-‘मैं हर विषय पर कार्य करना चाहता हूं। हसरतें अगर एक्सट्रा मटेरियल रिलेशनशिप पर निर्मित था, तो समय अल्जाइमर रोग पर आधारित था। जुस्तजू एक ऐसे आदमी की कहानी थी, जो अपनी साली से अट्रेक्ट था। वहीं केसरिया..एक अलग विषय को जीता है। मैं प्रमाणिकता में बिलीव करता हूं। मैं जो भी कार्य करूं, वह रियल दिखाई देना चाहिए, महसूस होना चाहिए।’
महबूब खान, ऋषिकेश मुखर्जी, बिमल रॉय और राज कपूर जैसे लीजेंड डायरेक्टर्स से प्रभावित अजय सिन्हा नसीहत देते हैं-‘मैं हूं क्यों, हर किसी को एक नई सोच के साथ कार्य करना चाहिए, तभी एक नई राह बनेगी, दिशा नजर आएगी।’

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009

‘राज-पिछले जनम का’ में भोपाल की स्वाति सिंह


1966 की हवाई दुर्घटना में गंवाया था पिछला जीवन
अमिताभ फरोग
7 दिसंबर से ‘एनडीटीवी इमेजिन’ पर शुरू हो रहे रियलिटी शो-‘राज-पिछले जनम का’ में भोपाल की स्वाति सिंह ने अपनी पिछली दुनिया के कई रहस्यों से पर्दा से उठाया है।
यह शो का पहला एपीसोड रहेगा...


भोपाल की रहने वालीं स्वाति सिंह रियलिटी शो-‘राज पिछले जनम का’ के जरिये अपना पिछला जन्म देखने के बाद से हैरान हैं। स्वाति सिंह ऐसी पहली प्रतिभागी हैं, जिनके पिछले जन्म का राज पहले ही एपीसोड में दुनिया के सामने आने वाला है।
शो के मुताबिक, पिछले जन्म में स्वाति सिंह की मौत वर्ष 1966 में एक हवाई दुर्घटना में हुई थी। एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर 101 ‘बोइंग-707’ प्लेन अपनी नियमित उड़ान के तहत मुंबई से न्यूयार्क के लिए उड़ा था, जो फ्रांस की मोंट ब्लैंक पहाड़ियों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। गौरतलब है कि इस हवाई हादसे में विश्वप्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक और ‘इंडियन अटोमिक एनर्जी कमिशन’ के चेयरमैन डॉ. होमी जहांगीर भाभा की भी मौत हो गई थी। वे वियना जा रहे थे। तब ऐसा प्रचारित हुआ था कि; इस दुर्घटना के पीछे अमेरिकी खुफिया एजेंसी-‘सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी-सीआईए’ का षड्यंत्र है।
शो में स्वाति सिंह को ‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन टेक्निक’ से कान्शस मेडिटेटिव की सहायता से उनके पिछले जन्म में ले जाया गया। इस तकनीक को हैंडल कर रही हैं जानी-मानी साइकोलॉजिस्ट डॉ. तृप्ति जेईन। पिछले जन्म में स्वाति सिंह ने खुद को एक सेलर मि. डी. सिंह के रूप में पाया। उनके मुताबिक, अचानक एयरक्राफ्ट में धुंआ भरने लगा था और पैसेंजर घबराकर इधर-उधर भागने लगे। उन्हें अपनी मौत नजदीक आते दिखाई पड़ रही थी। इस विमान में कुल 106 पैसेंजर और 11 क्रू मैंबर्स सवार थे। इस दुर्घटना कोई जिंदा नहीं बच सका था।
दरअसल, स्वाति सिंह जब भी हवाई यात्रा करती हैं, तो उनके भीतर एक डर-सा बैठा रहता है। खासकर प्लेन के टेक-आॅफ और लैंडिंग के दरमियान तो वे कंपकपाने लगती हैं। स्वाति सिंह के मुताबिक, इस शो के माध्यम से अपने पिछले जन्म में जाने से पहले वे ‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन’ को कोरा अंधविश्वास ही मानती थीं, लेकिन अब उनकी सोच बदल गई है। उन्होंने शो में कहा-‘मैंने अपने पिछले जन्म में जाकर जो कुछ देखा; वह मेरी कल्पना से परे है। मुझे महसूस होने लगा है कि; इस दुनिया से परे भी कुछ चीज तो है!’
पहले मैं भी ऐसी बातों पर बिलीव
नहीं करता था। लेकिन अब कह सकता हूं कि यह भी एक साइंस है।
रवि किशन, होस्ट

गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

भोपाली कुड़ी के बड़े-बड़े नखरे



क्या DPL से निकाली गई हैं सारा?
अमिताभ फरोग
स्टार प्लस के बहुचर्चित सीरियल ‘विदाई’ की साधना बोले तो, सारा खान की ‘तुनकमिजाजी’ और ‘बदतमीजियों’ ने उनकी इमेज को ‘बट्टा’ लगा दिया है।
सोनी टेलीविजन के रियलिटी शो ‘डांस प्रीमियर लीग’ की होस्ट बनकर सातवें आसमान पर जा चढ़ीं सारा के बारे में खबर है कि; उनके नखरों के चलते डीपीएल से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। किस्मत की धनी सारा ‘विदाई’ के कारण घर-घर में लोकप्रिय हो चुकी हैं। इस कामयाबी ने उन्हें ‘घमंडी’ बना दिया है। हालांकि ‘पीपुल्स सिटी’ से बतियाते हुए उन्होंने यही कहा कि; उन्होंने डीपीएल से कुछ एपीसोड के लिए ब्रेक लिया है। वजह? उनकी बिगड़ती सेहत को देखते हुए डाक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है।
डीपीएल की होस्टिंग से ‘विश्राम’ लेने की वजह सारा अपने पेट दर्द को बता रही हैं, जबकि मुंबई के सूत्रों के मुताबिक, अपने साथी होस्ट हुसैन की जबर्दस्त लोकप्रियता ने उनके ‘पेट में दर्द’ पैदा कर दिया है। हुसैन मझे हुए एंकर्स में शुमार हैं। इस वजह से शो के दौरान वे हुसैन के आगे अत्यंत फीकी साबित हो रही थीं। हालांकि सारा के अनुसार, वे दुबारा शो को होस्ट करेंगी; लेकिन इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। ‘ओवर कान्फिडेंस’ के कारण सारा कॉमेडी शो ‘हंस बलिये’ में हंसी का पात्र बन चुकी हैं, जब वे स्टेज पर अपने डायलॉग भूल गई थीं।
उधर, सारा की नखरेबाजी ने ‘विदाई’ सीरियल के डायरेक्टर और साथी कलाकारों को भी खासा नाराज कर दिया है। सारा को गुस्सा क्यों आता है? वे तर्क देती हैं-‘देर रात तक शूटिंग करने के बाद यदि उन्हें सुबह जल्दी सेट पर बुलाया जाए; तो गुस्सा आना स्वाभाविक है कि नहीं?’ हालांकि यह भी बात सामने आई है कि; वे अपने साथी कलाकारों से ठीक से पेश नहीं आतीं। सबसे बड़ी बात; उनके बुरे बर्ताव से ‘विदाई’ के प्रोड्यूसर राजन साही भी नाराज हैं। ऐसी खबर है कि; सारा का ‘विदाई’ से इसी अक्टूबर में एग्रीमेंट खत्म हो चुका है और अब वे इस सीरियल में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। दरअसल, सारा भोपाल के एक नव धनाढ्य युवा द्वारा स्थापित प्रोडक्शन हाउस ‘ब्लैक बेरी’ से जुड़कर कुछ प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही हैं। माना जा रहा है कि वे इसी सिलसिले में इन दिनों भोपाल में डेरा डाले हुए हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि ‘विदाई’ की स्टोरी में नया ट्रेक जोड़ा जा रहा है और हो सकता है कि पुराने कलाकारों की जगह नए चेहरे सामने आ जाएं।
सारा और अभिनेता अली मर्चेंट के रिश्ते को लेकर भी कानाफूंसी शुरू हो गई है। इसकी वजह सारा की अलग-अलग बयानबाजियां हैं। सारा करीब दो साल पहले एक अवार्ड समारोह में अली मर्चेंट से मिली थीं। कुछ महीने पहले सारा ने कहा था कि वे साल-डेढ़ साल के अंदर शादी कर लेंगी। अब उनका तर्क है कि; अभी उनकी उम्र ही क्या है, इसलिए शादी 4-5 साल बाद ही करेंगी। उल्लेखनीय है कि; पिछले साल सारा भोपाल में अली को अपने अभिभावकों से मिला चुकी हैं। सारा के बारे में कहा जाता है कि वे अपने करियर को लेकर अधिक कान्शियस हैं, रिश्ते उनकी जिंदगी में ज्यादा मायने नहीं रखते। अली से पहले सारा के ‘विदाई’ की रागिनी यानी पारुल चौहान के भाई से भी ‘मधुर संबंध’ रह चुके हैं।