शुक्रवार, 3 सितंबर 2010


छोटी सी उमर परनाई रे
बाबो सा करो थारो काई में कसूर
पल्लवी वाघेला
विवाह गीत की पक्तियां बाल सुलभ मन के भय और अचरज को व्यक्त करती हैं कि क्यों उसे इस नन्हीं सी उम्र में विवाह की बेदी के सामने बैठाया जा रहा है। आश्चर्य की बात यह कि ये पक्तियां केवल गांव तक सीमित नहीं। हाल ही में निजी कॉलेज से मास्टर्स इन सोशल वर्क करने वाले स्टूडेंट द्वारा किए सर्वे में खुलासा हुआ है कि भोपाल शहर में विवाहित महिलाओं में आधी बालिका वधू हैं। दूसरी तरफ इस सर्वे में एक अच्छी बात भी सामने आई है कि न्यू जनरेशन का प्रतिनिधित्व करने वाली अविवाहित युवतियां अब बाल विवाह को लेकर अधिक सजग हो गई हैं और वे इसका पूरजोर विरोध भी कर रही हैं। इनमें मीडिल क्लास से लेकर झुग्गी बस्तियों में रहने वाली कम उम्र की लड़कियां भी शामिल है।
भोपाल शहर जहां का साक्षरता प्रतिशत 75 से भी अधिक हैं वहां हाल ही में हुए सर्वे में बाल विवाह का प्रतिशत 53 आया है। ये वे महिलाएं हैं जिनकी शादी 18 वर्ष से पहले कर दी गई है और इनमें से ज्यादातर कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों को झेल रही हैं। एक निजी संस्था से सोशल वर्क की स्टडीज कर रहे स्टूडेंट द्वारा अपने रिसर्च पेपर को तैयार करने के दौरान यह सर्वे किया गया। सर्वे में भोपाल शहर के अलावा इसके आस-पास के क्षेत्र का अध्ययन भी किया गया है। इस दौरान सबसे अच्छी बात जो सामने आई वो ये कि अब खुद युवतियों द्वारा बाल विवाह के विरोध में स्वर प्रबल होने लगे हैं। इनमें से कई ने तो अपने परिवार को साफ शब्दों में कह दिया है कि यदि उनका जबरन विवाह करने की कोशिश की गई तो वे अपने परिवार केखिलाफ पुलिस के पास जाने में भी पीछे नहीं रहेंगी। सर्वे में सामने आया काला पक्षबाल विवाह के के मामले में मप्र राजस्थान से ज्यादा पीछे नहीं है। नेशनल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मप्र में लड़कियों की शादी की औसत उम्र 17 वर्ष पाई गई है। स्टूडेंट द्वारा भोपाल में किए गए सर्वे में भोपाल और इसके आस-पास शादी की औसत उम्र 17.4 पाई गई है। आंकड़ों के अनुसार इनमें से दो प्रतिशत लड़कियां ऐसी भी हैं जिन्हें मात्र 12 से 14 साल की उम्र में सेक्च्युअल एसॉल्ट या नादानी के चलते प्रेगनेंसी तक झेलनी पड़ी हैं। सर्वे के दौरान स्टूडेंट ने अस्पताल में भी पड़ताल की है। इसमें डॉक्टर्स ने भी आॅफ द रिकार्ड यह माना कि अस्पताल में आने वाले डिलेवरी केसेस में 30 प्रतिशत अंडरएज मदर्स होती हैं। यहां तक कि कभी-कभी भोपाल की गरीब बस्तियों और आस-पास के रूरल एरिया से 16 साल तक की गर्भवती लड़कियां भी आती हैं। सर्वे में खुलासा हुआ कि ज्यादातर लड़कियों की शादी जबरन उनके माता-पिता द्वारा की गई है और कई केसेस में तो पैसा लेकर माता-पिता ने बेटियों की शादी दोगुना-तीगुना उम्र के पुरूष से भी की गई है। इसके अलावा जहां लड़कियां चाइल्ड लेबर के रूप में काम कर रही हैं, वहां के मालिक द्वारा शादी कर उन्हें बंदी बनाने के केस भी सामने आए। इनमें ज्यादातर रेप केस भी होते हैं। इसके अलावा 5 प्रतिशत केसेस में लड़कियां बहकावे में आकर खुद ही चली जाती हैं। रजिस्ट्रेशन न होने के पीछे भी ये कारण सर्वे में ज्यादातर लोगों ने माना कि नियम बनने के बाद भी मैरिज रजिस्ट्रेशन न होने के पीछे भी बालविवाह बड़ा कारण है। लोगों ने माना कि उनकी शादी 18 से कम उम्र में होने के कारण वे डर के मारे रजिस्ट्रेशन के लिए जाते ही नहीं। जग रही है आशा की किरण सर्वे के दौरान स्टूडेंट के सामने पिछले तीन सालों के कुछ ऐसे केसेस भी सामने आए जहां लड़कियों ने खुद बाल विवाह के खिलाफ बिगुल फूंका है। इन लड़कियों ने अपने परिवार वालों को साफ शब्दों में कहा है कि यदि वे कम उम्र में उनकी शादी तय करते हैं तो वे उसका पूरजोर विरोध करेंगी और फिर भी यदि वे नहीं मानते हैं तो वे उनके खिलाफ पुलिस के पास जाने का भी माद्दा रखती हैं। भोपाल की अन्ना नगर बस्ती, मदर इंडिया बस्ती, आदि में ऐसी कुछ साहसी लड़कियों के उदाहरण सामने आए हैं। इसमें से एक लड़की तो सीधे खुल कर मीडिया के सामने भी आई है।

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