मंगलवार, 5 अगस्त 2008

महंगाई में 'नंगा नहाये क्या, निचोड़े क्या

अमिताभ फरोग
मियां मसूरी किसी उधेड़बुन में थे। हमने सवाल दागा-अमा मियां, किस ख्याल में खोए हो? उनका ध्यान भग्न हुआ। वे चिंतातुर थे-महोदय, इस महंगाई का क्या करूँ ? मैंने चिकोटी काटी -'दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ! मियां ने मुझे घूरा-महोदय, व्यर्थ के तर्क मत दीजिए। महंगाई ने गरीबों का आटा गीला और दाल पतली कर दी है। यूं लगता है गोया अब इस मुल्क में उन्हीं का पेट भर पाएगा, जो आदतन 'खाऊ कमाऊ हैं। मैंने पलटवार किया -अमा खां, खामख्वाह भेजा फ्राय मत कीजिए और आप भी खाने-खिलाने की आदत डाल लीजिए। खां की त्यौरियां चढ़ गईं-महोदय, मैं महंगाई से त्रस्त हूं, लेकिन भ्रष्ट नहीं। मैं हाजिर जवाबी पर उतर आया-मतलब, 100 में से 99 बेईमान, फिर भी मेरा देश महान! खां नाराज हो उठे-मैं एक प्रतिशत लोगों में रहकर भी खुश हूं। मैं गायनशैली में बोला-यानी, 'खून-पसीने की जो मिलेगी तो खाएंगे, नहीं तो यारो हम भूखे ही सो जाएंगे? खां ने मुझे खा जाने वाली नजरों से देखा-महोदय, ईमानदारों का मजाक उड़ाना आप को शोभा नहीं देता। मैं सिर्फ मंहगाई पर अपनी चिंता व्यक्त कर रहा हूं। यह अकेली हमारी नहीं, समग्र देशवासियों की समस्या है। मैं दार्शनिक अंदाज में बोला -यानी 'नगां नहाए क्या, निचोड़े क्या खां रुंआसे हो उठे-महोदय, गरीबों के पास तन ढकने को कपड़ा ही कहाँ बचा है, जो वो उन्हें धोएगा। रही बात नहाने की , तो सार्वजनिक नलों से बूंद-बूंद पानी ही तो टपकता है। खून-पसीना बहाकर हासिल हुए पानी को नहाने में इस्तेमाल करना क्या समझदारी कहलाएगी? मैं गंभीर हो उठा-खां, आप की चिंता वाजिब है, लेकिन सोल्यूशन कौन निकालेगा ? खां का लहजा कड़क हुआ -महोदय, सरकार कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती? मैंने पलटवार किया -खां, कदम उठाने के लिए दम चाहिए। वे बोले-तो फिर कांग्रेस जनहितैषी होने का दंभ क्यों भरती है? मैं फिर हाजिर जवाबी पर उतर आया-शब्दों के दंभ में कितना दम होता होता है, यह बताने की जरूरत नहीं है। खां ने सवाल किया -प्रधानमंत्री तो कुछ कर सकते हैं? मैंने तुकान्त शब्द-शैली अपनाई- मनमोहना... बड़े झूठे। खां चिंतातुर हो उठे-मैं आपका आशय नहीं समझा? मैं इतना आगे बढ़ लिया-खां, क्यों मुंह खुलवा रहे हो, सरकार में प्रधान कौन है और मंत्री कैसे हैं, यह सबको पता है। वैसे भी जिस 'सरदार' के 'सर' पर कोई दूजा बैठा हो, तो वो Kइतना असरदार होगा, कहने की आवश्यकता नहीं।

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

aapka mehgai ka lekh bahut badiya hai

बेनामी ने कहा…

is gambhir mudde ko aapne badhiya tarike se likha hai. aapko badhai.

बेनामी ने कहा…

aapne is subject ko badhiya tarike se likha hai. aapko badhi.

बेनामी ने कहा…

thanks