बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

प्ले 'मोहब्बत द ताज' की कहानी

वाह ताज!

(गौरव गौतम ने यह लेख विशेषतौर पर गिद्ध के लिए लिखा है। भोपाल के रहने वाले गौरव अंतरराष्ट्रीय ताज महोत्सव के तहत तैयार हुए संभवतः दुनिया के सबसे महंगे प्ले 'मोहब्बत द ताज' में जय सिंह का किरदार निभा रहे हैं। प्ले का निर्देशन कर रहे हैं मशहूर फ़िल्मकार मोहन सिंह राठोर। इसे लिखा है फ़िल्म लेखक और गीतकार जलीश शरवानी ने)
हर कलाकार की ख्वाहिश होती है कि वो अपने कर्मक्षेत्र में कुछ हटकर कर गुजरे। इसे मेरी किस्मत भी कह सकते हैं कि मुझे दुनिया के संभवतः सबसे महंगे प्ले 'मोहब्बत द ताज' का हिस्सा बनने का सौभाग्य नसीब हुआ। वाकई मेरे लिए यह ग्रेट अचीवमेंट है। मैं कितना खुश हूं, इसकी अभिव्यक्ति शब्दों से नहीं की जा सकती। मैं अभी बहुत छोटा हूं, लेकिन जिन बड़ी शख्सियतों के साथ मुझे काम करने, सीखने और अपना हुनर माजने का मौका मिला है, इसके लिए मैं ईश्वर के अलावा अपने परिजनों, मित्रों और इस प्ले से जुड़े लोगों का ताउम्र शुक्रगुजार रहूंगा।
यह प्ले इन दिनों अजूबे ताजमहल की स्थली आगरा में नियमित खेला जा रहा है। हमारा ड्रामा न सिर्फ पूरे हिंदुस्तान, बल्कि बाकी छह अजूबों के देशों में भी मंचित होगा। इसके लिए विश्व की दस विभिन्न भाषाओं में 6 माह रिहर्सल की है। मैं इसमें राजा जयसिंह का किरदार निभा रहा हूं । पूरे प्ले में यह एक मात्र हिंदू कैरेक्टर है। यह दुनिया का पहला ऐसा थिएटर प्ले है, जिसके लिए 80 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट रखा गया। इस एक घंटे 20 मिनट के प्ले का मुख्य आकर्षण ताजमहल की प्रतिकृति है। लगभग 4 करोड़ की लागत वाली इस प्रतिकृति को तैयार करने के लिए राजस्थान स्थित मकराना से विशेषतौर पर संगमरमर मंगवाया गया था। इसे बनाने में दस साल का समय लगा है। विश्व में जहां-जहां भी यह प्ले होगा, ताज की इस प्रतिकृति को वहां ले जाया जाएगा।
देश में पहली बार किसी प्ले में हाई लेजर और हाइड्रोलिक बैकड्राप स्क्रीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। बहती यमुना नदी की प्रतिकृति से धीरे-धीरे निकलता ताजमहल देखने वालों को अपने पहले ही दृश्य में रोमांचित कर देगा। एक तरह से यह विश्व में थिएटर के रसिकों के लिए लाइव ताज को देखने का अनोखा अनुभव होगा। इस प्ले में गीत भी शुमार है, जिसे अपनी आवाज से सजाया है अलका याग्निक, उदित नारायण, सुरेश वाडेकर, कविता कृष्णमूर्ति और कुमार सानू ने। गीत लिखा है जाने-माने फ़िल्म गीतकार सुधाकर शर्मा ने। प्ले के कलाकारों में नए उभरते कलाकारों के साथ नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के सीनियर आर्टिस्ट भी शामिल हैं।
इस अनोखे प्ले की मुमताज़ बनी हैं इंदौर की 21 वर्षीया संचिता चौधरी। संचिता ने हाल एक म्यूजिक एल्बम किया है 'बदरा'। इसमें आवाज़ दी है "रब्बी' ने। संचिता ने फिल्म 'सिंह इस किंग' में सुधांशु शर्मा की गर्ल फ्रेंड का किरदार निभाया है। इन्होंने एक हॉलीवुड फिल्म भी की है, जिसका नाम 'स्लम डॉग मिल्लिईर' है। संचिता को लाइट म्यूजिक सुनना बहुत पसंद है। ये कत्थक की बेहतर कलाकार भी हैं।
मैं और मेरा बचपन
मैं बचपन से ही रामानंद सागरजी के सीरियल रामायण, अलिफ-लैला, हातिमताई आदि से बहुत प्रभावित रहा हूं। मैं इनके किरदारों में खुद की छवि देखा करता था। भगवान ने मेरी इच्छा पूरी की और मैं आज 'सागर प्रोडक्शन' का एक अभिन्न हिस्सा हूं। सबसे पहला मौका मुझे स्टार प्लस के सीरियल 'लकी' में मिला था। इसमें मैं जादूगर बना था। सच कहूं, तो मुझे 'स्टार' बनाने में 'स्टार प्लस चैनल' की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसी चैनल के 'पृथ्वीराज' और 'साईं बाबा' सीरियल में भी मुझे काम करने का मौका मिला था।
मैं 6वीं क्लास से थिऐटर कर रहा हूं, जब मैं भोपाल के कैम्ब्रिज स्कूल में पढता था। वार्षिकोत्सव के दौरान खुद के निर्देशन में महाराजा शिवाजी पर केंद्रित एक नाटक खेला था। इसमें मैं ही शिवाजी बना था। नाटक सबको खूब पसंद आया। पापा ने प्रोत्साहित किया और मैं ’जवाहरबाल भवन‘ से जुड़ गया। यहां बाल रंगकर्म के लिए ख्यात केजी त्रिवेदी के सानिध्य में 'समर कैम्प' के दौरान थिऐटर की बारीकियां सीखीं। वे मेरे गुरु हैं। बहरहाल, मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि 'मोहब्बत द ताज' मेरे लिए किसी ताज से कम नहीं है।

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