रविवार, 30 अगस्त 2009

भाविनी का सपना


लंदन का रॉयल अल्बर्ट हाल मेरा लक्ष्य
अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'
आहिस्ता-आहिस्ता सफलता के सोपान चढ़ने में बिलीव करने वालीं ‘अमूल स्टार वाइस आॅफ इंडिया’ की विजेता पी. भाविनी कहती हैं-‘वक्त कितना भी लग जाए, लेकिन मैं एक दिन लंदन के रायल अल्बर्ट हॉल में अपनी प्रस्तुति देना चाहती हूं। यही मेरा ख्वाब है, लक्ष्य है।’ कीर्ति सूद, जितेंद्र शर्मा और संजीव सचदेवा से ‘सुर-साधने’ की बारीकी सीख रहीं भाविनी बताती हैं-‘मुझे संगीतकारों में मदनमोहनजी और गायिकाओं में लताजी बहुत प्रिय हैं। मेरी अधिसंख्य प्रस्तुतियां उन्हीं के गानों की होती हैं। नानी मेरी प्रेरणा हैं। उन्हें संगीत से अत्यंत लगाव है। भाविनी कहती हैं-‘आनंदधाम आकर मुझे प्रसन्नता भी हुई और थोड़ा दु:ख भी पहुंचा। वो बच्चे निश्चय ही अभागे हैं, जिन्होंने अपने ऊपर से इन बुजुर्गों के आशीर्वाद का साया दूर कर दिया। यहां आने का मकसद सिर्फ इतना था, ताकि मैं इन बुजुर्गों के मन में थोड़ी-सी जीने की चाहत भर सकूं। उन्हें आनंदित कर सकूं।’ भाविनी प्ले बैक सिंगर बनना चाहती हैं। उनके मुताबिक-‘मेरी ख्वाहिश है कि लोग मुझे फिल्मों के माध्यम से सुनें, लेकिन फिलहाल मुझे पढ़ाई की चिंता है। अगले महीने से मेरे एग्जाम शुरू हो रहे हैं, इसलिए इन दिनों मेरा रियाज; मेरी पढ़ाई बन चुकी है। मेरा मानना है कि आपका सपना कुछ भी हो, लेकिन उससे पढ़ाई बाधित/प्रभावित नहीं होनी चाहिए।’
भाविनी अपना पसंदीदा गीत गुनगुनाती हैं-‘रस्मे उल्फत को निभाएं, तो निभाएं कैसे..?’ अपनी मां कल्पना और पिता पी. सुब्रमण्यम के संग कार्यक्रम में आर्इं भाविनी बताती हैं-‘मेरे सुरों में मां को बड़ा नटखट और पापा को लो आ गई उनकी याद... सुनना अच्छा लगता है।’

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