सोमवार, 31 अगस्त 2009

मेरा अनुभव/रियलिटी शो ‘छू लो आसामान’ की दीपा खरे


क्या मैं वाकई नाओमी कैम्पबैल का ‘इंडियन वर्जन’ हूं!

दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर बुधवार रात 10 बजे प्रसारित होने वाले रियलिटी शो-‘छू लो आसमान’ में आकाश छूते-छूते रह गर्इं दीपा खरे कॉन्फिडेंस की एक मिसाल कही जा सकती हैं। शो के अंतिम चार प्रतिभागियों में शामिल रहीं दीपा बता रही हैं रियलिटी शो के अनुभव...

कान्फिडेंस बढ़ता गया...
‘छू लो आसमान’ का पूरा सफर अपने आप में बहुत ही शानदार रहा। जब भोपाल में इसके ऑडिशन दे रही थी, तब न तो ज्यादा पता था कि आगे शो में क्या-क्या होने वाला है और न ही यह सोचा था कि इसमें टॉप-4 तक पहुंचूंगी। जैसे-जैसे एक-एक स्टेप आगे बढ़ती गई, वैसे ही मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ता गया और शो में अंत तक रहने की ललक भी ऊर्जित हो उठी।
अनुभव काम आते हैं...
कैमरे के सामने काम करने का अनुभव तो पहले से ही था। मैं भोपाल दूरदर्शन की एंकर हूं। हां, अब किसी रियलिटी शो में काम करने का अनुभव मेरे बहुत काम आएगा। जब इस शो के फाइनल ऑडिशन मुम्बई में हुए और मुझे बुलावा आया; तो कहीं न कहीं मन में एक डर भी था, पर हमेशा हर चैलेंज को स्वीकार करने की मेरी आदत और मेरे घर वालों के सहयोग ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। फिर तो जैसे हर मंजिल अपने आप मिलती गई। फाइनल ऑडिशन में मेरी सुनाई कविता जज फारुख शेख और नीना गुप्ता को बहुत पसंद आई। साथ ही, जब मैंने शो में दिए गए टास्क के दौरान एंकर श्रुति सेठ का इंटरव्यू लिया, तब मेरा कॉन्फिडेंस देखकर श्रुति भी चकित रह गई थीं। उन्होंने कहा-‘मुझे पूरा विश्वास है कि नामचीन एंकर बनने का तुम्हारा सपना अवश्य पूरा होगा।’
निखरने का मौका मिला...
शो में काम करते समय मुझे अपने आपको निखारने के भरपूर अवसर मिले। एक तरफ जहां जजेस के कमेंट्स ने आत्मविश्वास बढ़ाया, तो वहीं दूसरी तरफ विशेषज्ञों द्वारा दी गई ट्रेनिंग ने हमें खूबसूरत कैसे रहना है एवं स्वयं को किस तरह संवारना है, यह सिखाया। शो में हमसे मिलने कई बड़ी-बड़ी फिल्मी हस्तियां आर्इं, जिन्होंने हमारा हौंसला बढ़ाया। खासतौर से सैयद जुल्फी एवं रोशनी चोपड़ा को तो मेरा टास्क काफी पसंद आया था। रियलिटी शो में काम करने के दौरान सबसे बड़ा चैलेंज होता है, अपने घर वालों से दूर रहना। आप एक ऐसे माहौल में होते हैं, जहां आपके लिए सबकुछ बिलकुल नया होता है। मेरा मन करता था कि दूर भोपाल में बैठी अपनी बहन से बात की करूं, अपने पापा को अपना अनुभव सुनाऊं, किसी पुराने दोस्त से बात करूं? पर, तब आप किसी से मिलना तो दूर; बात भी नहीं कर सकते। ऐसे में जो सबसे ज्यादा जरूरी है, वो है आपका आत्मविश्वास एवं धैर्य।
चुनौतियों के लिए तैयार रहें...
जो भी लोग रियलिटी शो में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें मैं यही सलाह दूंगी कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य से काम लें एवं आत्मविश्वास का दामन न छोड़ें। शो के दौरान हमें ऐसे-ऐसे टास्क करने पड़ते थे, जो कि कोई साधारण लड़की नहीं कर सकती। मसलन भाग कर चलना, लोहे की छड़ को टेढ़ा करना, कांच पर चलना! पर सिर्फ एक आत्मविश्वास ही था, जो हर वक्त मेरे साथ रहा। उसी की वजह से मैं इतना आगे तक पहुंच पाई। शो के दौरान मैंने तरह-तरह के काम किए। कई बार तो सुबह 6 बजे से लेकर दूसरे दिन सुबह 6 बजे तक लगातार शूटिंग भी की। सबसे यादगार टास्क मेरा पानी-पूरी के स्टॉल का लगाने वाला रहा। पानी-पूरी बेचने में मुझे बहुत मजा आया।
नए रिश्ते बनाएं...
तीन महीने के लिए अपने घर से दूर मुम्बई में रहना, लगातार काम करना कभी-कभी चिढ़ पैदा करने वाला होता था। हां, इसके साथ-साथ इस शो में मुझे कई यादगार पल भी मिले। ढेर सारे नए लोगों से मुलाकात हुई। नई सहेलियां मिलीं। कई बार तो हम लड़कियां रात के 2 बजे चाय पार्टी करते थे, अंताक्षरी खेलते थे और हंसते-हंसते घर वालों की याद करके रोने भी लगते थे। टॉप-4 में जाकर एलीमिनेट होना थोड़ा बुरा तो लगा पर, निराशा नहीं हुई; क्योंकि जाते-जाते जज एवं श्रुति ने मुझसे कहा कि, तुम इस शो की सबसे ताकतवर एवं टैलेंटेड प्रतिभागी थी। श्रुति ने तो यहां तक कहा कि फ्यूचर में अगर कोई उसे चैलेंज दे सकता है, तो वो दीपा ही है। इसीलिए मुझे पूरा विश्वास है कि इस शो में मैंने जो कुछ सीखा, वो बेकार नहीं जाएगा एवं एक न एक दिन मैं अपनी मंजिल जरूर पा लूंगी।
हर दिन नई शुरुआत
हर सुबह हमारे लिए नई चुनौती लेकर आती थी। कभी हमें मेला लगाना होता था, तो कभी बाजार में जाकर फेरीवाले की तरह सामान बेचना होता था। कभी जज के लिए शानदार दावत का आयोजन, तो कभी बुटीक सजाना। हमें मानसिक के साथ-साथ मुझे अपनी शारीरिक ताकत का भी इम्तिहान देना पड़ा, जब जजेस ने कहा कि अब वे लड़कियों की फिजीकल फिटनेस देखना चाहते हैं। शो के दौरान मुझे कई कॉम्पलीमेंट मिले। लड़कियां मुझे पॉकेट साइज पावर हाउस कहती थीं, तो जजेस मुझे हंसी की पुड़िया। फेमस मेकअप आर्टिस्ट भरत एवं डॉरिस ने मुझे सुपर मॉडल नाओमी कैम्पबैल का इंडियन वर्जन कहा। पर सबसे ज्यादा तारीफ मेरे आत्मविश्वास और सेन्स आॅफ ह्यूमर की होती थी। जब सब लड़कियां थक कर हैरान-परेशान होती थीं, तब मैं उन सबको हंसाने की जिम्मेदारी उठाती थी। एलीमिनेट होने के दूसरे दिन ही जज फारुख शेख ने खुद फोन करके मेरा हौसला बढ़ाया और कहा कि उनके हिसाब से मुझे ही शो की विजेता होना चाहिए था।

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