मंगलवार, 17 नवंबर 2009

पुस्तक समीक्षा


चिल्लर चिंतन: एक संभावना का स्वागत...

ऐसा मानने में भी में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हिन्दी साहित्य में हास्य लेखन की परंपरा कम पाई जाती है। यहां व्यंग्य, इस तरह के लेखन का बुनियादी विषय रहा है। आजकल आ रहे हास्य-व्यंग्य संग्रहों में भी व्यंग्य की मात्रा काफी दिखाई देती है, हास्य पर जोर काफी कम हैं। इस नजरिए से अनुज खरे का हास्य-व्यंग्य संग्रह 'चिल्लर चिंतन' विशिष्ट घटना है।
इसमें हास्य केन्द्र में है, रचनाओं में व्यंग्य सायास आता चला जाता है। कई जगह व्यंग्य इतनी शिद्दत के साथ दिखाई देता है कि बेहद ताजगी का अहसास होता है। किताब की भूमिका में प्रख्यात व्यंग्यकार श्री ज्ञान चतुर्वेदी लिखते हैं-अनुज में व्यंग्य की बुनियादी समझ है, और लीक से हटकर कुछ करने की तड़प भी। वे विषय चयन से लेकर व्यंग्य की भाषा तथा शैली तक व्यंग्य के सौंदर्यशास्त्र के समस्त उपादानों का बखूबी से प्रयोग करते हैं। वे लोकभाषा में बिखरे व्यंग्य का प्रयोग करना भी जानते हैं। उनकी रचनाएं बताती हैं कि वे अलग हैं, ताजेपन के साथ हैं, और नया करने को आतुर भी। कई जगह वे पात्रों को स्थापित करने में इतनी जबर्दस्त शैली का प्रयोग करते हैं कि पात्र संपूर्ण मारकता के साथ 'मार्मिक' होकर आपसे तादात्म्य स्थापित कर लेता है। कई रचनाओं में पाठक खुद पात्रों की हैसियत में दिखाई देने लगता है। कई जगह भाषा शिल्प चमत्कृत करता है। हालांकि उनके लेखन में एक तरह की दरदरी अनगढ़ता दिखाई देती है। अधिकांश रचनाओं में वे व्यंग्य के स्थापित प्रतिमानों का भी अतिक्रमण करते नजर आते हैं। दोनों ही बातें कई स्थानों में अखरती हैं, तो कई रचनाओं में इसी वजह नई जमीन टूटती दिखाई देती है। कुल मिलाकर उनका संग्रह प्रयोगात्मक शैली में परिस्थितियों-पात्रों के माध्यम से सहज हास्य की तलाश करने वालों के लिए विशिष्ट किस्म की अनुभूति से गुजरने जैसा है। एक नए लेखक के नजरिए से श्री ज्ञान चतुर्वेदी की भूमिका का शीर्षक 'एक संभावना के स्वागत में इस मामले में बेहद सटीक दिखाई देता है।

चिल्लर चिंतन (व्यंग्य संग्रह)
लेखक: अनुज खरे
बोधि प्रकाशन, जयपुर
कीमत: 150 रुपए
पृष्ठ: 160
लेखक से संपर्क : 9826658739

1 टिप्पणी:

प्रमोद ताम्बट ने कहा…

अनुज खरे नई पीढ़ी के व्यंग्यकारों की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं उनका व्यंग्य संग्रह चिल्लर चिंतन एक अच्छा व्यंग्य संग्रह है । सभी को पढ़ना चाहिए। शुभकामनाएँ।

प्रमोद ताम्बट
भोपाल