गड़बड़झाला, खूब घोटाला...
लोकतंत्र का बज गया बाजा...
मुंह खोला तो खैर नहीं है...
अंधेर नगरी, चौपट राजा।
कौन नहीं है भ्रष्ट तंत्र में!
निकल रहा सब ओर दिवाला।
किस-किस की गर्दन पकड़ोगे...
उजली खादी, पीछे काला।
बाबाजी न करो सियासत...
जिसका काम, उसी को साजा।
अनशन से अब होगा न कुछ...
करो क्रांति, थामो भाला।
अमिताभ बुधौलिया
1 टिप्पणी:
स्वामी रामदेव जी राजनीति से ऊपर हैं .. या कहें परे हैं ...
आपकी हमारी तरह नहीं हैं.
वक्त वक्त में देश को नए क्रांतिकारी परिवर्तन की आवश्यकता होती है
जब से मीडिया, फिल्म & टीवी का युग आया है, तभी से देश का पतन शुरू हुआ है .
आप और में भी भी उसी पतन के जिम्मेदारों में से एक हैं ...
सभी सेंट मर्री, कॉन्वेंट स्कूल ने देश की बार बजा दी है ...
एक टिप्पणी भेजें