शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008


ये किसने लगाई आग...
ये किसने लगाई आग, कोई तो बताए।
जो सच्चा है मजहबी, वो सामने आए।।
आग उगलता हूं, मेरा धर्म यही है।
जो देता न हो हवा, वो सामने आए।।
फूंकता हूं, बस्तियां मेरा कर्म यही है।
जो कहे-मैं हूं नापाक, वो सामने आए।।
बकता हूं गालियां मैं सरेआम-सरेराह।
जो हो कोई मर्यादित, वो सामने आए।।
ईद मनाता हूं, मैं मुसलमान नहीं हूं।
जो भी हो शर्मसार वो सामने आए।।
हिंदू हूँ-मुसलमान हूँ, गर्व से कहो।
साचा हो जो इंसान, वो सामने आए॥
अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

bhahut shandar amitabh ji lage raho mere bhai arif mirza