गुरुवार, 13 नवंबर 2008

बाल दिवस

चक दे बच्चे...
ये बचपन ऊटपटांगा...
न डालें फटे में टांगा...
चक दे बच्चे
न भेदभाव, न झगड़ा...
न दुश्मन कोई तगड़ा...
चक दे बच्चे।
दिल में है उजियारा...
घर-संसार है सारा...
चक दे बच्चे।
न झूठ-कपट न पंगा...
न आपस में कोई दंगा...
चक दे बच्चे।
न सरहद का घेरा...
न गुटबाजी न डेरा...
चक दे बच्चे।
मन मैला न कुचैला...
न भरें लूट से थैला...
चक दे बच्चे।
बडे सभी हैं नंगे...
बस, मुन्ने सारे चंगे...
चक दे बच्चे।
ये भोले-भोले चेहरे...
समझें कोई पहरे..
चक दे बच्चे।
न कोई इनकी जाति...
सब इनके संगी-साथी...
चक दे बच्चे।
न धरम-करम की बातें...
न डरी-डरी-सी रातें...
चक दे बच्चे।
कोई इनसे सीखे जीना...
सो, झुके कभी न सीना...
चक दे बच्चे।
चक दे..चक दे..चक दे..चक दे...चक दे बच्चे।
अमिताभ फरोग

4 टिप्‍पणियां:

Neelima ने कहा…

अमिताभ अंकल पोयम बहुत अच्छी लगी ममा ने गाकर सुनाई !

- प्रभव और मिष्टी

manoj ने कहा…

cha da bacha
kavita kam gana jada lag raha hai
bacha man ka caha hota hai
chak da................

manoj ने कहा…

cha da bacha
kavita kam gana jada lag raha hai
bacha man ka caha hota hai
chak da................

Udan Tashtari ने कहा…

बाल दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.