रविवार, 29 नवंबर 2009
‘यहां मैं घर-घर खेली’ की सुहासी धामी
आर्टिस्ट को एक्सपीरिमेंट करते रहना चाहिए
अमिताभ फरोग
सुहासी धामी वरुण वडोला के संग कॉमेडी का जबर्दस्त फ्यूजन रचने के बाद राजश्री प्रोडक्शन के शो-‘यहां मैं घर-घर खेली’ में एक जिम्मेदार/भावुक बिटिया का किरदार निभाने जा रही हैं। यह डेली शोप कुछ दिन पहले जीटीवी पर सोमवार से शुक्रवार रात 8.30 बजे आन एयर हुआ है।
मध्यप्रदेश के नैसर्गिक सौंदर्य से वशीभूत राजश्री प्रोडक्शन के सूरज बड़जात्या अपनी फिल्म ‘एक विवाह ऐसा भी’ के बाद ‘यहां मैं घर-घर खेली’ सीरियल के माध्यम से पुन: अपनी इन्हीं भावनाओं/प्यार का इजहार करने जा रहे हैं। जीटीवी पर कुछ दिनों पहले ऑन एयर हुए इस सीरियल की पृष्ठभूमि में महाकाल की नगरी उज्जैन मौजूद है। सुहासी इस सीरियल में स्वर्ण आभा नाम से लीड रोल कर रही हैं।
वे इस सीरियल को लेकर काफी उत्साहित हैं-‘राजश्री प्रोडक्शन फैमिली सिनेमा के लिए ख्यात है। यहां मैं घर... भी निश्चय ही इंडियल फैमिली को बहुत पसंद आएगा। इसमें सिर्फ सेट के रूप में भव्यता ही देखने को नहीं मिलेगी; डायलॉग, कास्ट्यूम, ज्वैलरी सभी पर बहुत मेहनत की गई है। यह सीरियल दूसरे फैमिली ड्रा से हटकर मनोरंजन पेश करेगा। हमारा फोकस भारतीय समाज है, खासकर ऐसे परिवार; जो सास-बहू के षड्यंत्रों, ईर्ष्या/रोने-धोने से आजिज हो चुके हैं, यहां मैं घर...उनकी भावनाओं का पूरा ख्याल रखेगा। इसमें सनसनी नहीं; इमोशन्स हैं।’
गुजराती रंगमंच की जानीमानी कलाकार लता धामी की छोटी बिटिया सुहासी भरतनाट्यम में दक्ष हैं। वे कहती हैं-‘मां कहती हैं कि; कुछ बेहतर करने के लिए निरंतर सीखते रहना चाहिए। मां ने कुछ हिंदी सीरियल भी किए हैं। उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से ही मैंने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। नादिरा बब्बर की वर्कशॉप में जाती रही हूं।’
सुहासी स्टार प्लस के वीकली कॉमेडी शो-‘एक चाबी है पड़ोस में’ में वरुण वडोला के संग अभिनय कर चुकी हैं। कॉमेडी के बाद सीरियस कैरेक्टर करने के सवाल पर वे दो टूक कहती हैं-‘मुझे दोनों शेड पसंद हैं। वैसे भी मेरा मानना है कि एक आर्टिस्ट को हमेशा एक्सपेरिमेंट करते रहना चाहिए।’
सुहासी कितने घंटे शूटिंग करती हैं? वे शब्दों का मायाजाल बुन डालती हैं-‘सूरजजी मुझे पूरे 7 घंटे सोने का मौका देते हैं। पैकअप होने से 5 मिनिट पहले मुझे फ्री कर दिया जाता है।’ हालांकि बाद में हंसते हुए सुहासी स्वीकारती हैं कि; वे 12-13 घंटे शूट करती हैं। सुहासी और स्वर्णप्रभा(किरदार) में समानता/असमानता पर वे स्पष्ट करती हैं-‘रियल लाइफ में भी मैं घर में सबसे छोटी हूं। सबकी लाड़ली हूं, लेकिन मनमानी नहीं करती। थोड़ा-बहुत घर का काम भी आता है।’ इतना कहते हुए सुहासी हंस पड़ती हैं।
सुहासी उज्जैन को कितना जानती हैं? वे मुस्कराते हुए जवाब देती हैं-‘सीरियल में मेरा घर उज्जैन में है, लेकिन अभी तक मैं वहां नहीं गई हूं। सूरजीजी ने थोड़ा-बहुत उज्जैन के बारे में बताया था। वहां भी सीरियल की शूटिंग होनी है, तब जाकर घूमूंगी।’
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2 टिप्पणियां:
अच्छी जानकारी ...... नये कलाकारों के बारे में जान कर अच्छा लगा .........
नये कलाकारों के बारे में जान कर अच्छा लगा
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