दर्द सहना अब आदत-सी हो गई है।
जिंदगी गोया शहादत-सी हो गई है।।
दोस्त भी अब देने लगे हैं दगा।
मोहब्बत अदावत-सी हो गई है।।
आंखें जागी-जागी, दिन भी बेकरार।
मेरी तड़प कहावत-सी हो गई है।
सबकुछ भूला; खुद का नहीं ख्याल।
उसकी याद इबादत-सी हो गई है।
जिंदगी गोया शहादत-सी हो गई है।।
दोस्त भी अब देने लगे हैं दगा।
मोहब्बत अदावत-सी हो गई है।।
आंखें जागी-जागी, दिन भी बेकरार।
मेरी तड़प कहावत-सी हो गई है।
सबकुछ भूला; खुद का नहीं ख्याल।
उसकी याद इबादत-सी हो गई है।
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