शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

दर्द सहना अब आदत-सी हो गई है।

दर्द सहना अब आदत-सी हो गई है।

जिंदगी गोया शहादत-सी हो गई है।।

दोस्त भी अब देने लगे हैं दगा।

मोहब्बत अदावत-सी हो गई है।।

आंखें जागी-जागी, दिन भी बेकरार।

मेरी तड़प कहावत-सी हो गई है।

सबकुछ भूला; खुद का नहीं ख्याल।

उसकी याद इबादत-सी हो गई है।

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