शहरयार की याद में
यहां-वहां; इधर-उधर हर तरफ तेरी सूरत नजर आती है।
रात-दिन; चारों पहर बस तेरी-बस तेरी ही याद सताती है।
मेरी आंखों में छाये रहते हैं कुछ मीठे-से ख्वाब तेरे।
मैं आशिक आवारा सूरत मेरी हालत कुछ यूं बताती है।
तुम्हें देखूं तो; इक हूंक-सी उठती है अंदर ही अंदर।
मैंने पूछा धड़कनों से; वो इसे इसे समंदर बताती है।
दिल चीज क्या है; शहरयार तुम भी न जान सके।
पर है कुछ अजीब-सी चीज; जो रात-दिन तड़पाती है।
यहां-वहां; इधर-उधर हर तरफ तेरी सूरत नजर आती है।
रात-दिन; चारों पहर बस तेरी-बस तेरी ही याद सताती है।
मेरी आंखों में छाये रहते हैं कुछ मीठे-से ख्वाब तेरे।
मैं आशिक आवारा सूरत मेरी हालत कुछ यूं बताती है।
तुम्हें देखूं तो; इक हूंक-सी उठती है अंदर ही अंदर।
मैंने पूछा धड़कनों से; वो इसे इसे समंदर बताती है।
दिल चीज क्या है; शहरयार तुम भी न जान सके।
पर है कुछ अजीब-सी चीज; जो रात-दिन तड़पाती है।
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