मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

शहरयार की याद में

यहां-वहां; इधर-उधर हर तरफ तेरी सूरत नजर आती है।

रात-दिन; चारों पहर बस तेरी-बस तेरी ही याद सताती है।

मेरी आंखों में छाये रहते हैं कुछ मीठे-से ख्वाब तेरे।

मैं आशिक आवारा सूरत मेरी हालत कुछ यूं बताती है।

तुम्हें देखूं तो; इक हूंक-सी उठती है अंदर ही अंदर।

मैंने पूछा धड़कनों से; वो इसे इसे समंदर बताती है।

दिल चीज क्या है; शहरयार तुम भी न जान सके।

पर है कुछ अजीब-सी चीज; जो रात-दिन तड़पाती है।

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

सियासी गज़ल



चुनावी सिगड़ी गर्म है, आओ पका लो रोटियां।

फेंको-फेंको साम्प्रदायिक और जातिगत गोटियां।

जो चाल-चरित्र समझे सत्ता की वही चढेगा चोटियां।

समझ गया जो गणित रोटी का, वो खाएगा बोटियां।



दिस वेलेंटाइन-डे


किताबों के बीच रखे गुलाबों की तरह।

तकिये के नीचे छिपे प्रेम-पत्रों की तरह।

मेरे अल्फाज़ भी जुबां में छटपटाते हैं।

आंखों कुछ कहती हैं, भाव कुछ बताते हैं।

तुम समझ लेना; मेरी अनकही बातें।

मैंने काटी हैं, जागते-जागते कई रातें।

इस वेलेंटाइन भी शायद कुछ न कह सकूंगा।

लेकिन यह तय है तुम्हारी जुदाई न सह सकूंगा।

तुम पढ़ लेना मेरी आंखें और चेहरे की भाषा।

तुम ही हो मेरी आस और जीने की आशा।

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

दिल का सवाल




कोई तो मेरे दिल से पूछे बता तेरा हाल क्या है?

क्यों धड़कता रात-दिन आखिर तेरा सवाल क्या है?

क्या है तेरे भीतर; जो दर्द-सा अहसास देता है?

क्यों देता है आंखों को पानी आखिर मलाल क्या है?

कुछ तो बात है; जो जुबां तक आकर लौट जाती है?

कुछ कहता; कुछ कहना चाहे, आखिर कमाल क्या है?

शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

दर्द सहना अब आदत-सी हो गई है।

दर्द सहना अब आदत-सी हो गई है।

जिंदगी गोया शहादत-सी हो गई है।।

दोस्त भी अब देने लगे हैं दगा।

मोहब्बत अदावत-सी हो गई है।।

आंखें जागी-जागी, दिन भी बेकरार।

मेरी तड़प कहावत-सी हो गई है।

सबकुछ भूला; खुद का नहीं ख्याल।

उसकी याद इबादत-सी हो गई है।

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

जीवन की मझधार में;

जीवन की मझधार में;

या जीवन की धार में।

चिंतन में या चिंता में;

या किसी के प्यार में,

कलकल बहती नदी केबीच;

... क्या कोई रहा है खींच?

संन्यासिन के भेष में;

क्या छिपा अवशेष में?

क्या आंखों में हैं नमी?

या सपनों में कोई कमी?

दिल में कोई दर्द लिए?

कोई ऐसा जीवन क्यों जिये?

क्यों सोच रही तुम ऐसा?

सब दोस्त मांगे तुम जैसा।

खुश रहो, आबाद रहो?

ईश्वर को धन्यवाद कहो?

जो तुमने पाया; आसान नहीं था।

प्रयत्न कोई नाकाम नहीं था?

चलो; बढ़ो; लहरों के संग।

अवश्य निखरेंगे भूमिका के रंग।