शनिवार, 31 मार्च 2012

एक गीत सबके लिए; मेरे लिए, आपके लिए!

एक गीत सबके लिए; मेरे लिए, आपके लिए!


म्यूनिसपॉलिटी के दफ्तर में/

थाने-कोर्ट-कचहरी में/

इलेक्ट्रिसिटी के दफ्तर में/

शाम-सुबह-दोपहरी में/

बेशर्मी से मांगे पैसा।

बगैर पैसा काम कैसा?

इनको सबक सिखाना होगा/

गली-गली शोर मचाना होगा/

बोलना होगा हल्ला मन से/

तन में जोश जगाना होगा।

बदलाव देश में लाना होगा।





चुप्पी हमको तोड़नी होगी...

बेड़ी हमको तोड़नी होगी।

उठना होगा; जोश से...

आक्रोश करो; कुछ रोष करो!





आफिस-आफिस/ अफसर-अफसर/

मांगे कोई हमसे जो रिश्वत/

खींचके मारो उसको थप्पड़/

कर दो हल्ला जोर से/

जगा दो दुनिया शोर से/

इनको सबक सिखाना होगा/

गली-गली शोर मचाना होगा/

बोलना होगा हल्ला मन से/

तन में जोश जगाना होगा।

बदलाव देश में लाना होगा।



चुप्पी हमको तोड़नी होगी...

बेड़ी हमको तोड़नी होगी।

उठना होगा; जोश से...

आक्रोश करो; कुछ रोष करो!



डरो नहीं; और न घबराओ/

मिलकरजुलकर सब हाथ बढ़ाओ।

भ्रष्टाचार का गजब है खेला।

क्या कर लेगा एक अकेला।

मत सोचो, कुछ ऐसा-वैसा।

जो चाहो बदलोगे वैसा।

उठो; जवानो आग भरो/

मन में कुछ विश्वास भरो।

मुट्ठी भींचो; गाओ गीत।

यकीन मानो होगी जीत।

गली-गली शोर मचाना होगा/

बोलना होगा हल्ला मन से/

तन में जोश जगाना होगा।

बदलाव देश में लाना होगा।

चुप्पी हमको तोड़नी होगी...

बेड़ी हमको तोड़नी होगी।

उठना होगा; जोश से...

आक्रोश करो; कुछ रोष करो!

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