शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

पिजड़े में है परिंदा जाओ उसे खोल दो।





पिजड़े में है परिंदा जाओ उसे खोल दो।
आज से वो आजाद, जाओ उसे बोल दो।

मत बांधो किसी के पैर, ऐन-केन-प्रकारेण।
भरने दो मन की उड़ान, जाओ उसे खोल दो।

वे खाएं माल-पुए, गरीबों को रोटी नहीं।
ऐसे नहीं चलेगा हिंदुस्तान, जाओ उनसे बोल दो।

दमन से अगर बदल जाती तस्वीर मुल्क की।
तो लादेन होता सबसे महान, जाओ सबसे बोल दो।

हक मांगने से नहीं मिलता, संघर्ष बहुत जरूरी है।
लड़-मरने की लो ठान, जाओ आमजनों से बोल दो।

अमिताभ बुधौलिया

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