गुरुवार, 4 सितंबर 2008

प्रशासनिक फेरबदल में अटका रोजगार गारंटी योजना का पैसा

कुँए बने सरपंचों के जी का जंजाल

  • अलीराजपुर से लौटकर पल्लवी वाघेला
  • अलीराजपुर के जिला बनने की खुशियाँ सरपंचों पर भारी पड़ रही हैं। दरअसल, प्रशासनिक उलटफेर के चलते रोजगार गारंटी योजना के भुगतान में पेंच आ गए हैं। कई सरपंच पिछला भुगतान लटकने से पशोपेश की स्थिति में हैं।
    नवगठित जिले अलीराजपुर के सरपंच इन दिनों रोजगार गारंटी योजना में कराए गए काम का पैसा लेने के लिए अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। दरअसल, अलीराजपुर पहले झाबुआ जिले का हिस्सा था। झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर राजकुमार पाठक (वर्तमान में धार में पदस्थ) ने सरपंचों को गांवों में विकास की धारा बहाने और जल संवर्धन का संदेश देते हुए ज्यादा से ज्यादा काम कराने को कहा था। उन्होंने रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा जॉब कार्ड बनाने और गांव में कुओं के निर्माण की बात कहते हुए इसका पूरा पैसा सेंक्शन कराने का आश्वासन भी दिया था। अब नवगठित जिले अलीराजपुर के कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर हैं। उनका कहना है कि इतने सारे कुँए एक साथ क्यों खोदे गए? इनके लिए पैसा स्वीकृत नहीं किया जा सकता। दरअसल, जिले के अनेक सरपंचों ने अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक संख्या में कुएं निर्मित किए हैं, जो अपने शुभारंभ की राह देख रहे हैं और सरपंच को गांव वालों से गालियां सुननी पड़ रही हैं।

    सरपंचों का मत
    ग्राम पंचायत बेहड़वा के विश्राम चौंगड़ बताते हैं कि पूर्व कलेक्टर (राजकुमार पाठक) के कहने पर पंचायत में लगभग 17 कुओं का निर्माण कराया है, लेकिन इसका पैसा मिलने में बेहद दिक्कत आ रही है। विश्राम बताते हैं-हम काम खूब करा लें, लेकिन काम के बाद राशि नहीं मिलती और राशि आती भी है तो बेहद कम और देर से। अभी बने कुएं तो जी का जंजाल बन गए हैं। पुराने कलेक्टर साहब के कहे अनुसार कुएं बनवा दिए। अब नए कलेक्टर साहब का कहना है कि मैंने तो तुम्हें यह काम कराने के लिए नहीं कहा था। पैसा नहीं होने के कारण रोज गावं वालों की गालियां सुनते हैं।
    इनका कहना है
    मांग न होने पर भी बिना सोचे समझे अंधाधुंध काम खोले गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में काम शुरू होगा तो राशि की दिक्कत आना स्वाभाविक है। जिन कुओं का काम शुरू किया गया है, उनमें से कई पैसा न होने के कारण अधूरे भी पड़े हैं। लेकिन बीच में हमारे पास राशि की दिक्कत थी। अब राशि जैसे-जैसे आएगी हम भुगतान का प्रयास करेंगे, लेकिन इसमें वक्त लगेगा। हां, अभी हमारा लक्ष्य केवल अधूरे खोले गए कामों को पूरा करना है। हम नए काम के लिए स्वीकृति नहीं देंगे।


चंद्रशेखर बोरकर, कलेक्टर जिला अलीराजपुर

धार जिले में भी मेरा यही लक्ष्य है कि गांव में अधिक से अधिक कुएं बनाए जाएं और जल संवर्धन संबंधी कार्य हों। झाबुआ कलेक्टर के रूप में भी मैंने यही चाहा था और पंचायत में अधिक से अधिक कुएं बनवाने के लिए पैसा देने की बात कही थी। मेरे समय में स्वीकृत हुए काम का पैसा कोई रोक नहीं सकता। हां, जो काम शुरू हो गया और उस पर मैं स्वीकृति नहीं दे सका, उसे लेकर प्राब्लम हो सकती है, लेकिन परिस्थितियां बदलती हैं तो शुरुआत में दिक्कतें आती ही हैं। नई परिस्थितियों के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।

राजकुमार पाठक, कलेक्टर जिला धार

( यह रपट दैनिक जागरण के भोपाल संस्करण में प्रकाशित हुई है। देवी अहिल्याबाई यूनिवर्सिटी, इंदौर से पत्रकारिता की डिग्री लेने वालीं पल्लवी इन दिनों संवाद फेलोशिप के तहत पंचायतीराज में महिला जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर काम कर रही हैं

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