रविवार, 21 फ़रवरी 2010


इंडिया सीखे डांस
अमिताभ फरोग
कोरियोग्राफी के मामले में अच्छे-खासों की बोलती बंद कर देने वालीं सरोज खान के आगे ‘एंग्री-यंग जर्नलिस्ट’ भी नि:शब्द हो उठे। दरअसल, प्रेस कान्फ्रेंस में पौन घंटे विलंब होने पर कुछ जर्नलिस्ट नाराज हुए, तब सरोज खान ने जिस प्रभावी अंदाज में देर से आने का तर्क दिया, उस पर माहौल एकदम कूल हो गया। बल्कि थोड़ी देर में ठहाके भी सुनाई पड़ने लगे। कलर्स चैनल पर प्रसारित होने जा रहे बच्चों के डांस रियलिटी शो ‘चक धूम-धूम’ के फाइनल ऑडीशन लेने सरोज खान के संग विंदु दारा सिंह और प्रवेश राणा भी रविवार को भोपाल में थे।

‘बिग बॉस में होती तो सबको ठीक कर देती’ सरोज खान
सरोज खान सिर्फ नचाना नहीं जानतीं, उन्हें अक्ल ठिकाने लगाना भी आता है। यह दीगर बात है कि, उनकी समझाइश का अंदाज बड़ा प्यारा और निराला होता है। प्रेस कान्फ्रेंस में विलंब से पहुंचने पर मीडिया की नाराजगी उन्होंने कुछ यूं पिघला दी-‘आप बड़े हैं, वहां हम बच्चों के साथ थे। आपको इंतजार करा सकती हूं, लेकिन बच्चों को नहीं।’ सरोज खान बताती हैं कि उन्हें ‘बिग बॉस-तृतीय’ से आॅफर आया था। वे चुटकी लेती हैं-‘सिर्फ आॅफर नहीं, बड़ा ऑफ़र मिला था।
इसमें विनिंग प्राइज अलग थी, लेकिन मैंने वहां जाना उचित नहीं समझा। अगर जाती, तो सबको ठीक कर देती।’
उनके मुताबिक,‘हरेक चीज का एक दौर होता है। इन दिनों फिल्मों में डांस का अच्छा दौर नहीं चल रहा। बच्चे मेरे पास हिप-हॉप भी सीखने आते हैं, तो मैं मना नहीं करती। लेकिन जिस दिन इसका पन्ना भर जाएगा, हिंदुस्तानी शैली लौट आएगी। वे मीठी मुस्कान के संग वर्तमान कोरियाग्राफर्स पर व्यंग्य मारती हैं-‘अगर ढेर सारे लड़के-लड़कियां चिपके रहेंगे, तो मैं हिलूंगी कहां?’ ‘बेटा’ फिल्म के गीत ‘सैयाजी से...’ को अपना बेस्ट वर्क मानने वालीं सरोज राखी सावंत की डांस परफार्मेंस पर कुछ यूं टिप्पणी करती हैं-‘राखी को कभी नचाया नहीं, इसलिए नो कमेंट!’ सरोज खान बच्चों की बिगड़ती आदतों के लिए टेलीविजन को दोषी नहीं मानती। वे दो टूक कहती हैं-‘कुछ बच्चे मां-बाप की वजह से भी बिगड़ते हैं, तनाव में आते हैं, फिर टेलीविजन को दोष क्यों? टेलीविजन कभी नहीं कहता कि ऐसा करो, ऐसे मरो!’
उनके मुताबिक, रियलिटी शो के दौरान अब काउंसलर भी रखे जाते हैं, ताकि बच्चे तनावग्रस्त न हों। वे कहती हैं-‘हम भी बच्चों से ऐसे अलफाज कतई नहीं बोलते, जिनसे उनका दिल टूटे। हम यही बोलते हैं कि बेटे! थोड़ा वीक हो, ट्राय नेक्स्ट ईयर।’ लेखकों की तरह क्या कोरियोग्राफर्स को भी फिल्मों से रॉयल्टी नहीं मिलनी चाहिए? सरोज दो टूक जवाब देती हैं-‘यह बेहद उलझा हुआ मामला है। वैसे हम लोगो को इसकी कोई फिक्र नहीं। हमारे पास खजाना है, कमाते रहेंगे।’

लड़कियां तंग करने लगी हैं
प्रवेश राणा
कलर्स चैनल के रियलिटी शो ‘बिग-बॉस-तृतीय’ से सुर्खियों में आए प्रवेश राणा से अगर आप उनका मोबाइल नंबर मांगेंगे, तो देते वक्त यह बोलना नहीं भूलते-‘एक टेक्स्ट मैसेज अवश्य छोड़ देना!’ आखिर क्यों?
वे मुस्कराते हैं-‘अरे यार! जबसे बिग-बॉस से बाहर आया हूं, लड़कियां फोन पर तंग करने लगी हैं। घरवाले भी बहुत परेशान हैं। शादी के ढेरों प्रस्ताव आ रहे हैं।’
वर्ष, 2008 में ‘मिस्टर इंडिया’ रहे प्रवेश खुले दिल से कलर्स का शुक्रिया अदा करते हैं- ‘सिर्फ 54 दिनों में क्या कोई इतना लोकप्रिय हो सकता है? बिग-बॉस के बाद मुझे सारा इंडिया जानने लगा है। लाइफ एकदम चेंज हो गई है, ढेरों ऑफ़र्स मिल रहे हैं।’
‘बिग बॉस’ में विंदु से हुए विवाद पर प्रवेश स्पष्ट करते हैं-‘जरूरी नहीं कि दो लोगों की सोच एक-समान हो! वैसे वह झगड़ा सिर्फ शो तक ही सीमित था, अब हम अच्छे दोस्त हैं।’
प्रवेश विंदु के पिता जानेमाने पहलवान और अभिनेता दारा सिंह से मिलने को व्याकुल हैं-‘वो महान व्यक्ति हैं। मैं उनसे मिलना चाहता हूं, लेकिन वक्त नहीं निकाल पा रहा। किसी दिन विंदु से बोलूंगा, कि वो उनसे मिलाने
ले चले।’

बच्चों को देख-देखकर डांस सीख रहा हूं विंदु दारा सिंह

‘बिग बॉस-तृतीय’ के विनर विंदु बिंदास अंदाज में स्वीकारते हैं कि वे बच्चों को देख-देखकर डांसिंग स्टेप सीख रहे हैं। वे ठहाका लगाकर बोलते हैं-‘फिल्मी डांस तो खूब करता हूं, लेकिन बाकी डांस में कच्चा हूं, इसलिए सरोजजी से पूछता रहता हूं। वहीं बच्चों को देख-देखकर भी बहुत कुछ सबक ले लेता हूं।’ विंदु चाहते हैं कि डांस सारे इंडिया को आना चाहिए। क्यों? वे मजा लेते हैं-‘थोड़ा-बहुत डांस तो हम सभी को आना चाहिए। बारात-पार्टियों में भी तो कभी-कभार नाचना पड़ता है।’ हालांकि वे तर्क देते हैं-‘डांस एक अच्छी एक्सरसाइज है। आप जिम जाते हैं, तो कुछ स्पेशल एक्सरसाइज करते हैं, लेकिन डांस में पूरी बॉडी हिल जाती है, शेप में आ जाती है।’
विंदु बच्चों के डांस रियलिटी शो से जुड़कर बहुत खुश हैं। वे प्रसन्नता जाहिर करते हैं-‘सिर्फ बच्चों के रियलिटी शो ही ऐसे होते हैं, जिन्हें हर कोई देखना पसंद करता है। चैनल नहीं बदलता। मुझे बहुत मजा आ रहा है।’ विंदु मानते हैं कि देश में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, आवश्यकता उन्हें सही मार्गदर्शन देने की है। बतौर जज विंदु के लिए कई बार दुविधा की स्थिति बन जाती है। वे उदाहरण देते हैं-‘अहमदाबाद का एक बच्चा स्नेह बार-बार मेरी नींद उड़ा देता है। आॅडिशन के दौरान उसे सिलेक्ट करें या नहीं; इसे लेकर हम सब बेहद दुविधा में थे। आखिरकार जब उसे मना किया गया, तो उसके आंसू निकल आए। ऐसी घटनाएं देखकर मन दु:खी हो जाता है।

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