दोस्तों,
यह पहेली बहुत आसान है। ये सभी बिग बास के घर के मेहमान हैं।
1
भूतनी जैसी हरकत करतीं , बोली इकदम ठेठ।
बिग बास के घर में रहतीं, सरनेम जिनका सेठ।।
राहुल की मुंहबोली बहना, आइटम नंबर वन।
जो उलझे वो मुंह की खाए, जानें वो हर फन।।
उद्दंड नारी, डरे फैमिली सारी...
2
अरा..र..रा..ये क्या हो गया, नामिनेशन में आया नाम।
माना जिसको अपना नेता, लगा दिया उसी ने काम।
बनी हुई हैं टीचर फिर भी बहुत बुरा है हाल।
सिखा रहीं पीटी बच्चों को, मिलते नहीं कदमताल।।
खूब करें काम, फिर भी हुई बदनाम...
3
बात-बात पर सुर जो साधें, दिनभर करते गान।
दोस्त बोलें, रहम करो, क्यों पका रहे हो कान।।
राजनीति के बड़े खिलाड़ी, गुपचुप चलते दाव।
बहला-फुसलाकर यारों की डुबो रहे हैं नाव।।
तेरा रूप विराट, हे सुर सम्राट...
4
बोलचाल में अदब झलकता, मोहक है मुस्कान।
बैर न पालें कभी किसी से, यार छिड़कते जान।।
रंग चढ़ा ग्लैमर का ऐसा, बदल दिए फीचर।।
कामेडी के मास्टर हैं वो, कभी रहे टीचर।
हंसते-हंसते कट जाएं रस्ते, यही उनका संदेश..
(जवाब अगली पोस्ट में)
अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'
यह पहेली बहुत आसान है। ये सभी बिग बास के घर के मेहमान हैं।
1
भूतनी जैसी हरकत करतीं , बोली इकदम ठेठ।
बिग बास के घर में रहतीं, सरनेम जिनका सेठ।।
राहुल की मुंहबोली बहना, आइटम नंबर वन।
जो उलझे वो मुंह की खाए, जानें वो हर फन।।
उद्दंड नारी, डरे फैमिली सारी...
2
अरा..र..रा..ये क्या हो गया, नामिनेशन में आया नाम।
माना जिसको अपना नेता, लगा दिया उसी ने काम।
बनी हुई हैं टीचर फिर भी बहुत बुरा है हाल।
सिखा रहीं पीटी बच्चों को, मिलते नहीं कदमताल।।
खूब करें काम, फिर भी हुई बदनाम...
3
बात-बात पर सुर जो साधें, दिनभर करते गान।
दोस्त बोलें, रहम करो, क्यों पका रहे हो कान।।
राजनीति के बड़े खिलाड़ी, गुपचुप चलते दाव।
बहला-फुसलाकर यारों की डुबो रहे हैं नाव।।
तेरा रूप विराट, हे सुर सम्राट...
4
बोलचाल में अदब झलकता, मोहक है मुस्कान।
बैर न पालें कभी किसी से, यार छिड़कते जान।।
रंग चढ़ा ग्लैमर का ऐसा, बदल दिए फीचर।।
कामेडी के मास्टर हैं वो, कभी रहे टीचर।
हंसते-हंसते कट जाएं रस्ते, यही उनका संदेश..
(जवाब अगली पोस्ट में)
अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'
1 टिप्पणी:
1. संभावना सेठ
२. केतकी
३. देबोजित.. (पर राजनीति वाली बात इन पर नहीं जमती)
४. अहसान कुरेशी
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