मंगलवार, 17 मार्च 2009

अनुभूति: कहने को शब्द नहीं, भीतर से हूं व्याकुल


हंसती-गाती, मुस्कुराती
गुड़िया-सीगुडी


एहसान कुरैशी


ब्रिटेन में बिग ब्रदर्स कार्यक्रम में भाग लेने वाली जेड गुडी बालीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी पर नस्लीय टिप्पणी के कारण चर्चा में रही। डॉक्टरों ने बताया कि वह चंद घंटों की ही मेहमान है।

पिछले दिनों टेलीविजन पर जेड गुडी को देखा, आंखें भर आईं। मेरे पास न तो कहने को कोई शब्द हैं और न ही लिखने को, लेकि भीतर से अत्यंत व्याकुल हूं। दिल रो पड़ने को करता है। दुनिया ने बहुत तरक्की कर ली है, इंसान के क्लोन तैयार कर लिए हैं, तो फिर गुडी क्यों मर रही है? हमने जन्म लिया है, तो दुनिया से जाना निश्चय है, लेकिन गुडी जैसी ‘प्रताड़ना’ हे मौत के देवता किसी को न देना! कैंसर सिर्फ गुडी को नहीं, बल्कि एक ऐसी ऊर्जा छीनकर ले जा रहा है, जिसने हम जैसे बहुतों का जीने के बिंदास रंगों से सीधे साक्षात्कार कराया।
मुझे जब कलर्स चैनल ने रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ के लिए बुलाया, तब मुझे नहीं पता था कि मेरे साथ इस घर में और कौन-कौन से मेहमान रहेंगे? दरअसल, कार्यक्रम के शुरू होने से पहले उसमें शामिल प्रतिभागियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते, इसलिए मैं यही सोचता रहा कि पता नहीं घर के भीतर कैसे-कैसे लोग आएंगे? ‘बिग बॉस’ के पहले दिन जब हम सब प्रतिभागी इकट्ठे हुए, तब मुझे मालूम चला कि जेड गुडी भी हमारे साथ हैं। इससे पहले गुडी से मैं कभी रूबरू नहीं हुआ था। हां, ‘बिग ब्रदर’ के कारण मैंने उनके बारे में खूब सुन रखा था। चूंकि गुडी ‘बिग ब्रदर’ में शिल्पा शेट्टी पर की गई नस्लवादी टिप्पणियों के कारण चर्चाओं में आई थीं, इसलिए सच कहूं तो मेरे अंदर उनके प्रति कोई आदर का भाव नहीं था। चूंकि शिल्पा हमारे शो को होस्ट कर रही थीं, इसलिए उत्सुकता थी-यहां भी गुडी अवश्य कुछ न कुछ विवाद खड़ा करेंगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। खैर, पहले दिन हमारा एक-दूसरे से परिचय कराया गया। संजय निरूपम और पायल रोहतगी ने गुडी से मेरा परिचय कराते कहा-‘ये एहसान कुरैशी हैं, यहां के मशहूर हास्य कवि।’ मैंने उनका अभिवादन अपनी काव्य शैली में-‘जेड गुडीजी...जेड गुडीजी...’ किया, तो उसके होंठों पर शरारती हंसी तैर उठी थी। एकदम छोटे-छोटे बाल और बड़ा-सा मुंह-जिससे जब भी कोई शब्द फूटे, तो सामने वाला बगैर हंसे नहीं रह सकता। गुडी पेशे से नर्स रही हैं। मैंने पढ़ रखा था कि गुडी ने दुनिया बहुत नहीं देखी, लेकिन रियलिटी टीवी से बहुत देखा है। दर्शक उन्हें पसंद करते हैं, लेकिन मीडिया को वे फूटी आंख भी नहीं सुहाती। गुडी का सामान्य ज्ञान बहुत कमजोर है, लेकिन ‘सेंस आफ ह्यूमर’ लाजवाब। तीन दिन में गुडी ने पूरा घर हिलाकर रख दिया था। हिलाना इस मायने में क्योंकि वह बेहद टूटी-फूटी हिंदी इस्तेमाल करती थी, लेकिन हिंदी फिल्म गानों पर यूं उछलती-कूदती कि हम सब हंस-हंस के लोटपोट हो जाते। हम लोग उससे अकसर हिंदी गाना गाने को कहते।
संभावना सेठ और गुडी की खूब पटती थी। संभावना और गुडी अकसर नाचते-गाते रहते। गुडी को भारतीय जीवनशैली पर बड़ी हैरानी होती थी। हममें से कई दिनभर कुछ न कुछ खाते-पीते रहते थे, इस पर गुडी खूब मजे लेती। उसे भारतीय खान-पान में रुचि नहीं थी, लेकिन वह चखकर सब देखती थी। वह जूस पीती रहती या फल खा लेती। गुडी की एक परफ्यूम कंपनी है, जिसकी बोटलिंग गुजरात में होती है। मैं इत्र का बेहद शौकीन रहा हूं।
गुडी को जब यह बात मालूम चली, तो उसने मुझे अपनी कंपनी का परफ्यूम देते हुए बताया था कि ‘बिग ब्रदर’ से हुई कमाई उसने शेयर में भी लगाई है। गुडी का यह बर्ताव देखकर मेरे मन में उसके प्रति भावनाएं बदल चुकी थीं। दरअसल, कई बार हमारे सामने ‘झूठ’ को इस करीने से पेश किया जाता है कि हमें वही ‘सच’ लगने लगता है। शायद गुडी के बुरी छवि के पीछे भी यह वजह रही होगी। शिल्पा शेट्टी से दुर्व्यवहार मामले में गुडी ने मायूसी भरे शब्दों में कहा था कि मीडिया ने उसके शब्दों को अपने हिसाब से इस्तेमाल किया। अगर उसके मन में शिल्पा या भारत के प्रति कोई दुर्भावना होती, तो वह यहां आती ही नहीं। एक दिन संजय निरूपम ने मुझसे कहा-‘एहसानजी यह लेडी बहुत चालाक है। कैमरे के सामने कैसे पेश आना है, यह भली-भांति जानती है। आपने देखा नहीं कि हमेशा कैसी अप-टू-डेट रहती है।’
उस पल मुझे भी लगा था कि वाकई गुडी को सुर्खियों में बने रहना आता है, लेकिन जब उसके साथ उठना-बैठना, खाना-पीना और मौज-मस्ती शुरू हुई, तब लगा कि यह लेडी वैसी है नहीं, जैसा मीडिया बताती है। गुडी बमुश्किल तीन दिन ही ‘बिग बॉस’ के घर में रह पाई। एक दिन जब वह ‘कन्वेंशन रूम’ से बाहर निकली तो आंखें सुर्ख थीं।
एक हंसती-मुस्कराती गुडी को अचानक गमगीन देखकर हम सब भी हैरान थे। गुडी ने बताया कि उसे कैंसर है, जो धीरे-धीरे उसे मौत की ओर ढकेल रहा है। यह सुनकर हम सभी सन्न रह गए थे। उस वक्त तो हमें लगा कि शायद टीआरपी के चक्कर में चैनलवाले यह अफवाह उड़ा रहे हैं, लेकिन जब गुडी ने बताया कि कुछ दिन पहले उसने टेस्ट कराया था जिसकी रिपोर्ट में कैंसर निकला है,तो हमारे पास कहने को जैसे शब्द हीं नहीं बचे थे। वह रातभर रोती रही और हम लोग उसे झूठा ढांढस बधाते रहे, शायद इसे ही ‘झूठी मानवता’ कहेंगे। उस खबर के बाद गुडी का उछलना-कूदना, गाना सब बंद हो चुका था।
उसे अपने बच्चों की चिंता सताने लगी थी। मैं उस दिन का मंजर कभी नहीं भूल सकता। दो दिन पहले जिस औरत के ओठों से हंसी टपकती रहती थी, कमर हमेशा किसी गाने पर मटकने को मचलती रहती थी, अचानक सबकुछ ठहर-सा गया था। कितनी जल्दी जिंदगी की तस्वीर बदल जाती है, मैंने काफी करीब से देखा है। किसी चमत्कार की उम्मीद बिलकुल भी नहीं है, फिर भी मैं आशाओं के दीप जलाए रखना चाहता हूं।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

किसी भी जीवन की कामना में आशा का दीप जलाये रखना ही मानवता की दरकार है.

एहसान कुरैशी का अच्छा आलेख.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मैंने उनको T.V. par देखा है और साथ साथ ये bhi जाना की वो आज भी जिन्दादिली से अपनी बिमारी का सामना कर रही हैं