रविवार, 3 जनवरी 2010

चेतन भगत की तरह आफाक अलमास हुसैन भी छले गए हैं


‘इडियट्स’ ही नहीं, ‘मुन्नाभाई‘ भी छलिया!
अमिताभ फरोग
यह सिर्फ चिकोटीभर काटने का मामला नहीं है, विधु विनोद चोपड़ा पर एक नहीं; दो बार छल-कपट का आरोप लगा है। ‘3 इडियट्स’ चेतन भगत; तो ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ आफाक अलमास हुसैन के लिए ‘छलिया’ साबित हुई है। हालांकि दोनों ही लेखकों ने ‘फिल्म लेखक संघ’ में अपनी शिकायत न ले जाकर सीधे मीडिया के सामने भड़ास निकाली है, इसलिए ‘संघ’ चुप्पी साधे हुए है।

यह सफलता के ‘रंग में भंग’ पड़ने-सरीखा मामला है। ...और ऐसा दूसरी बार हुआ है। चेतन भगत ने सिर्फ ‘3 इडियट्स’ के प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा और निर्देशक राजकुमार हीरानी पर ‘श्रेय छीनने’ का आरोप मढ़ा है, आफाक अलमास हुसैन ने तो ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ की स्क्रिप्ट पर चोरी का इल्जाम लगाते हुए लीगल नोटिस तक भेजा था। यह दीगर बात है कि; यह कदम थोड़ी देर से उठाया गया, इसलिए विवाद तूल नहीं पकड़ सका।
विधु और राजकुमार ने ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ के माध्यम से भले ही दुनियाभर को नैतिकता का पाठ पढ़ाया हो, लेकिन वे स्वयं दूध के धुले नहीं है। कुछ महीने पहले ‘भोपाल ग्रुप आॅफ गांधी स्टार्स’ ने आरोप लगाया था कि; ‘लगे रहो...’ का सेंट्रल आइडिया और कहानी का मूलभूत ढांचा जानेमाने लेखक और निर्देशक आफाक अलमास हुसैन की पुस्तक ‘महात्मा’ से चुराया गया है। पिछले वर्ष ग्रुप ने इस बाबत आगरा में प्रेस कान्फेंस भी आयोजित की थी।
मूलत : लखनऊ के श्री आफाक मायूसी भरे शब्दों में बोलते हैं-‘यह पुस्तक मैंने 12 वर्ष पहले लिखी थी। इसी विषय पर वर्ष 1994 में महात्मा की वापसी नाम से नाटक का मंचन भी किया गया था। इसका निर्देशन मैंने स्वयं किया था। जिन लोगों ने यह पुस्तक पढ़ी है या फिर इस नाटक के दर्शक रहे हैं, वे बेहतर समझ सकते हैं कि लगे रहो...की स्क्रिप्ट का बेसिक कन्सेप्ट कहां से उठाया गया?’
उल्लेखनीय है कि यह पुस्तक उप्र सरकार के संस्थान ‘फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी’ के आर्थिक सहयोग से 1998 में उर्दू भाषा में प्रकाशित हुई थी।
आफाक दु:खी मन से कहते हैं-‘सितंबर 2006 में लगे रहो.. रिलीज हुई थी। मैंने तत्काल विधु विनोद और राजकुमार हीरानी से मिलने की कोशिश की, लेकिन वे कोई न कोई बहाना बनाकर मुझे टालते रहे। मैंने उन्हें एसएमएस भी भेजा, लेकिन जवाब नहीं मिला। मेरे पास इतना पैसा नहीं था कि, इतने अमीर लोगों से टक्कर ले सकूं। इस ऊहापोह में करीब 8-9 महीने निकल गए। इस दौरान जब मैं मुंबई से लखनऊ आया, तब अपने वकील आदित्य तिवारी की मदद से निर्माता और लेखक दोनों को नोटिस पहुंचाया। उनकी तरफ से कोई जवाब न मिलने पर उन्हें रिमाइंडर भी पहुंचाया। इस बीच मेरी कुछ पर्सनल प्रॉब्लम भी रही, जिनके कारण मुझे अपने इस कदम पीछे लेने पड़े।’
‘3 इडियट्स’ को लेकर उठे ताजा विवाद पर आफाक कहते हैं-‘चेतन को उनका प्रॉपर क्रेडिट मिलना ही चाहिए था। चेतन चर्चित लेखक हैं, इसलिए मीडिया का भी उन्हें बहुत सपोर्ट मिल रहा है, लेकिन मैं अकेले जूझता रहा। मेरी लड़ाई भले ही अधूरी रही गई हो, लेकिन इससे गुनाह तो कम नहीं हो जाता?
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मैं आज भी अपनी बात पर अडिग हूं, कि लगे रहो मुन्नाभाई की कहानी मेरी पुस्तक महात्मा से प्रेरित है। मैंने इस फिल्म के रिलीज होने के बाद विधु विनोद चोपड़ा को अपने वकील के माध्यम से नोटिस भी भेजा था, लेकिन उन्होंने खामोशी ओढ़े रखी। आर्थिक परिस्थिति बोलो या कुछ और; मैं सही वक्त पर लीगल एक्शन नहीं ले सका। जहां तक फिल्म लेखक संघ में शिकायत दर्ज कराने का मामला है, तो पुस्तक कॉपीराइट थी, इसलिए वहां जाने की जरूरत क्या थी? वैसे भी संघ निर्माता/निर्देशकों के विरुद्ध कभी एक्शन नहीं लेता। विवाद ज्यादा तूल पकड़ने लगे, तो वह बैठाकर समझौता करा देते हैं। भले ही अब मैं कुछ लीगल एक्शन नहीं ले सकता, लेकिन जो सच है, वो तो सच ही रहेगा।
आफाक अलमास हुसैन लेखक, महात्मा (लगे रहो मुन्नाभाई इस किताब से प्रेरित बताई जाती है)

‘यदि कोई लेखक एसोसिएशन में आकर कम्प्लेन करता है, तो हम मामले को सुलटाने का प्रयास करते हैं। चेतन भगत सीधे मीडिया के पास चले गए, इसलिए मैं इस बारे में कोई कमेंट नहीं कर सकता। फिल्म इंडस्ट्री एक फैमिली की तरह है, इसमें विवाद भी होते हैं और उनका निपटारा भी किया जाता है। न तो चेतन भगत और न ही आफाक अलमास एसोसिएशन के पास शिकायत लेकर आए, इसलिए इस बारे में हम कुछ नहीं कर सकते।’
जलीश शेरवानी अध्यक्ष, फिल्म लेखक संघ
फैक्ट
-करीब 35 करोड़ के बजट की ‘3 इडियट्स’ ने 2 अरब का बिजनेस कर चुकी है -करीब 15 करोड़ लागत की ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ ने करीब 56 करोड़ का बिजनेस किया था। -अभिजात जोशी हैं ‘3 इडियट्स’ और ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ के लेखक -आफाक अलमास दुनिया के दूसरे बड़े प्ले ‘मोहब्बत द ताज’ के निर्देशक रहे हैं और इन दिनों मुंबई में कई सीरियल लिख रहे हैं।