शुक्रवार, 22 जनवरी 2010
‘भाव’ खाने लगे हैं गजोधर भैया!
आपने अपने गजोधर भैया को ‘बाम्बे टू गोवा’ में एक खोजी लेखक की भूमिका में तो देखा ही होगा? रात में प्रोग्राम्स और दिनभर ‘कुंभकरणी नींद’ लेने वाले गजोधर भैया चुटकुले और कॉमिक आइटम लिखने के लिए कब वक्त निकालते होंगे? यहां इसकी बहस बाजिब नहीं है! प्रश्न गजोधर भैया के ‘भाव’ का है।
कानपुर के जाने माने कवि बलई काका के सुपुत्र राजू के ‘भाव’ इन दिनों आसमान पर हैं! ...और यह माइलेज मिला है उन्हें ‘बिग बॉस-तृतीय’ के बाद।
बताया जाता है कि वे अपनी पूरी टीम के साथ परफर्म करने के करीब 8 लाख रुपए वसूलते हैं। हां, यह दीगर बात है कि गुरुवार को भोपाल में एक निजी कार्यक्रम के दौरान अपनी प्रस्तुति देने आए राजू श्रीवास्तव को लगभग आधा रेट ही मिला। पूछो क्यों? यह अंदर की बात नहीं; मोल-तोल का मामला है। ‘बोलो मुंह फाड़कर, फिर जो मिले-सो भला।’ इसे मार्केटिंग का नया फंडा भी कह सकते हैं।
यह नायाब फंडा उनके नये पीए पीयूष उपाध्याय की देन हो सकता है? पीयूष बाबू अपने ‘बॉस’ को ‘सबसे महंगे, सबसे खास कॉमेडियन’ बनाने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते। पीयूष ने गजोधर भैया के कानों में मंत्र फूंका है कि; ‘बंद मुट्ठी लाख की, खुल गई तो खाक की!’ बोले तो; मीडिया से मिलो, लेकिन भाव यूं दिखाओ-जैसे गजोधर भैया ने बड़ी मुश्किल से उनके लिए समय निकाला हो!
गुरुवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। पीयूष दिनभर मीडिया से बोलते रहे कि अभी गजोधर भैया सो रहे हैं! देर शाम जब गजोधर भैया मीडिया से मिले, तब कहीं मालूम चला कि वे तो घंटों से फालतू बैठे हैं? इस आलतू-फालतू कीफंडेबाजी का नतीजा यह हुआ कि जब गजोधर ने मंच संभाला, आधे श्रोता खा-पीकर अपने-अपने घर को रवाना हो चुके थे। इस प्रोग्राम में ज्यादातर लोग गांव से आए थे। एक ने चुटकी ली-‘लगता है गजोधर भैया की कॉमेडी गांव वालों के सिर से निकल गई?’
इस ‘भाव-ताव’ के चक्कर में गजोधर भैया अपने मित्रों को भी घास नहीं डाल रहे। उल्लेखनीय है कि हाल में सुनील पाल के प्रोडक्शन की पहली फिल्म ‘भावनाओं को समझो’ रिलीज हुई है। इस फिल्म में राजू श्रीवास्तव ने भी किरदार निभाया है। राजू इस फिल्म पर जैसे चर्चा ही नहीं करना चाहते, आखिर क्यों? एक मशहूर कॉमेडियन आश्चर्य मिश्रित शब्दों में दो टूक कहते हैं-‘शायद राजू इसलिए फिल्म की पब्लिसिटी नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं इससे सुनील की मार्केट वैल्यू न बढ़ जाए? फिर उनके भाव का क्या होगा?’
जागो गजोधर भैया, जागो!
(यह कॉलम पीपुल्स समाचार, भोपाल में प्रकाशित होता है )
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