(राजू और अमिताभ फरोग)
अरे भैया का बताएं! हमें तो अपनों ने ही हरा दियाअमिताभ फरोग
कानपुरिया गजोधर भैया बोले तो; राजू श्रीवास्तव ‘बिग बॉस-तृतीय’ से एक सबक सीख कर निकले हैं, वो यह कि; कभी-कभी ख्याति भी नैया डुबा डालती है। दरअसल, ‘बिग बॉस’ में नामिनेट होने के बाद उन्हें अपने यार-दोस्तों ने भी सिर्फ यह सोचकर वोट नहीं दिए कि,‘राजू तो फेमस हैं, उन्हें दो-चार वोट से क्या फर्क पड़ेगा’? राजू ‘आकृति ग्रुप’ के स्थापना दिवस पर प्रोग्राम देने भोपाल आए हुए थे।
जब सारा मीडिया बोल रहा था कि; ‘बिग बॉस-तृतीय’ तो सिर्फ राजू ही जीतेंगे, ऐसे में पहले ही नॉमिनेशन में घर से बाहर कैसे हो गए? राजू श्रीवास्तव अपनी गजोधर स्टाइल में मजेदार खुलासा करते हैं-‘अरे भैया का बताएं? हम समझत रहे कि हमारे दोस्त-यार हमार को वोट देंगे, लेकिन वे तो बेवफा निकले। दरअसल, बिग बॉस के घर से पहले ही नॉमिनेशन में बाहर हो जाने पर मैं भी हैरान था। दोस्तों से पूछा तो उनका तर्क था कि; अबे उन 13 लोगों में सबसे ज्यादा पॉपुलर आदमी तो तू ही था! सबसे ज्यादा चर्चित चेहरा कहां बाहर आने वाला है? यह सोचकर हमने वोटिंग की तरफ ध्यान ही नहीं दिया! बस, भैया यह सोचते हुए हमारे दोस्तों ने भी हमें वोट नहीं किया, तो बाहर तो आना ही था।’
सुना है कि ‘बिग बॉस’ के बाद गजोधर भैया ‘बॉस’ हो गए हैं? राजू हंसते हुए पलटवार करते हैं-‘अरे नहीं; बॉस बनाना तो आप लोगों और पब्लिक के हाथ में है।’
‘बिग बॉस-तृतीय’ के फिक्स होने की आशंकाओं पर राजू बैकफुट पर जाते हैं-‘जिसका मेरे पास कोई सबूत नहीं, उस बारे में कोई चर्चा नहीं कर सकता। हां, इतना अवश्य मालूम चला है कि; विंदू ने अपने दोस्तों के मार्फत लाखों रुपए के एसएमएस कराए थे। वैसे विंदू की जीत से मुझे खुशी हुई है। वह मेरा अच्छा दोस्त बन गया है। मैंने कभी जीत की ओर ध्यान नहीं दिया था। अकसर जब बिग बॉस के घर में विनिंग प्राइज एक करोड़ रुपए की चर्चा होती थी, तब कहीं मैंने जीत को लेकर सोचना शुरू किया था। ओवरआॅल देखा जाए, तो 9 हफ्ते घर में रहा। उसके बाद बाहर सही सलामत निकल आया, इसकी खुशी है। वजह; वहां काफी लड़ाई-झगड़ा होना लगे थे।’
राजू कानपुर में स्टैंडअप कॉमेडियंस का एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोलने जा रहे हैं। वे इसमें आड़े आ रहे राजनीतिक पेंच पर व्यंग्य कसते हैं-‘यह पूरा फुल फ्लैश वर्क है। इसके लिए मंत्रियों के आगे-पीछे घूमना पड़ेगा। इसलिए स्लो काम चल रहा है। फिलहाल लोकल एमएलए के सहयोग से जमीन उपलब्ध होने जा रही है।’
राजू स्टैंडअप कॉमेडियंस को प्रतिष्ठित कलाकारों की श्रेणी में रखने को लेकर काफी गंभीर हैं-‘फाल्गुनी पाठक हों या अदनान; दोनों को फिल्मी गानों के अलावा एलबम्स से भी काफी लोकप्रियता मिली, इस तरह के प्रयास स्टैंडअप कॉमेडियंस को लेकर भी होने चाहिए। हमारा अपना उद्योग होना चाहिए।’
सुनील पाल के प्रोडक्शन की पहली फिल्म ‘भावनाओं को समझो’ पर राजू अपनी भावनाओं को फुल रफ्तार से बाहर नहीं निकलने देते। फिल्म को मिले रिस्पांस पर वे सिर्फ इतना कहते हैं-‘सुनील मेरे भाई हैं। हमसब बगैर किसी डिमांड के उनके साथ खड़े हुए।’
राजू इस सवाल पर चुप्पी साध गए कि; उनकी फिल्म को मध्यप्रदेश में वितरक क्यों नहीं मिले?
राजू की फ्यूचर प्लानिंग? वे बताते हैं-‘एक नए चैनल मस्ती की लांचिंग करनी है। कलर्स के साथ कुछ प्रोग्राम्स पर चर्चा चल रही है। फरवरी में बिग एफएम के साथ भी एक कार्यक्रम शुरू हो रहा है।’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें